rashi sharma
08 Dec, 2022 | 0 mins read
अब तक.....................
सबकी अपनी ज़ात है, सबकी अपनी सोच, कोई रखता है जोड़ कर हर याद, कोई फेंक देता है जैसे वो चीज़ है बेमोल.
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rashi sharma
07 Dec, 2022 | 0 mins read
स्याही बिखेर कर..................
स्याही बिखेर कर बहुत कुछ कमा लिया, घर बनाया, दौलत कमाई, रूताबा हासिल किया, मगर खुद के एहसासों को मार दिया.
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rashi sharma
06 Dec, 2022 | 1 min read
rashi sharma
01 Dec, 2022 | 0 mins read
पल दो पल.................
समय तय है हर चीज़ का, वहम ना पाले कोई अमर होने का, खुद पर आ जाए तो वो क्या ना कर दें, इंसानों के अहम को हवा कर दें.
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rashi sharma
30 Nov, 2022 | 1 min read
शायरों की बस्ती....................
वो गली हमारी है, जहां हम और हमारी कलम रोज़ाना कुछ नया लिखते है, कुछ सुना देते है लोगों को, कुछ को ज़हन में ही दफन कर देते है.
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rashi sharma
26 Nov, 2022 | 1 min read
नज़रों का फर्क....................
आँखों में चकरा नहीं, सोच में है, कम्बख्त हम सोच पर पहरा नहीं लगाते, लेकिन नज़रों पर पर्दा गिरा देते है.
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rashi sharma
25 Nov, 2022 | 0 mins read
rashi sharma
24 Nov, 2022 | 0 mins read
बिगड़ता नहीं मैं..................
ना बुरी लत है, ना ही समय की बेकद्ररी, मैं हूँ समझदार सा, बिगड़ैल नहीं.
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rashi sharma
23 Nov, 2022 | 0 mins read
मैं और पन्नें...................
अजनबी सा किस्सा है, हम दोनों मैं एक दूसरे का कुछ हिस्सा है, मिलते है मगर मिलान नहीं होता, ऐ कागज़ तू कभी शिकायत क्यों नहीं करता.
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rashi sharma
22 Nov, 2022 | 0 mins read