अब तक.....................

सबकी अपनी ज़ात है, सबकी अपनी सोच, कोई रखता है जोड़ कर हर याद, कोई फेंक देता है जैसे वो चीज़ है बेमोल.

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rashi sharma
rashi sharma 08 Dec, 2022 | 0 mins read

अब तक संभाल कर रखा है कुछ यादों को हमने,

कुछ टुकड़े कागज़ के, कुछ टूटे टुकड़े,

शाबाशी के लिए नहीं समझो तो ऐ शौक है मेरा,

तभी तो कुछ टूटे जज़्बात और टूटे सपनों को भी संभाल कर रखा है हमनें,


ना पहले शिकायत थी और ना ही अब कोई गिला है,

जिसको फर्क पड़ता है पिछली यादों से,

वही शख्स तो हमेशा उससे जुड़ा रहा है,

तुम ना खंगालों की तुम्हारे पास क्या बचा है,

जब होती वो याद तुम्हारे पास तो ऐ ढ़ूढ़ने का टंटा ही कहां बचता है,


ऐ खुद की बढ़ाई नहीं, ऐ तो हमारी कमी है,

जो चला गया छोड़ के उसके वापस आने की उम्मीद है,

वो लौट कर नहीं आता फिर भी मुड़ कर पीछे देखते है,

हर बार उसके ना आने के वहम को और भी पक्का करते है.


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