नज़रों का फर्क....................

आँखों में चकरा नहीं, सोच में है, कम्बख्त हम सोच पर पहरा नहीं लगाते, लेकिन नज़रों पर पर्दा गिरा देते है.

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rashi sharma
rashi sharma 26 Nov, 2022 | 1 min read

किसी को कुछ दिखता है, किसी को कुछ लगता है,

आँखें तो एक ही है देखने का फर्क लगता है,

किसी को ना कहो कि वो गलत है,

वो उल्टी दिशा में खड़ा है,

जहाँ से वो भी सही है,


खोपें चढ़े है इसका मतलब ऐ नहीं कि दिखता नहीं,

हमनें खुद ज़्यादा ही देख ली दुनिया,

इसलिए नज़रों में भी वो दम रहा नहीं,

पहले साफ - साफ देखते थे,

अब चश्में का इस्तेमाल करते है,

यकीन मानों हम पहले भी दूरदर्शी थे,

और हम आज भी वही है.

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