Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 Sep, 2020 | 1 min read

संप्रभुता (लघुकथा)

क्या हकीकत में विभिन्न धर्मों के बीच उतना ही द्वेष है जितना मीडिया में दिखाते है?

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Akshat
Akshat 23 Jul, 2020 | 1 min read

No rules allowed here!

No rules for gangsters

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Satyam pandey
Satyam pandey 15 Jul, 2020 | 0 mins read

Title

राजस्थान में उत्पन्न सियासी संकट का जिम्मेदार कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व और कांग्रेस की नीतियां हैं । सचिन पायलट जो जनाधार वाले कद्दावर युवा नेता हैं और उन्होंने कई वर्षों से कांग्रेस पार्टी को संगठित करने में, संगठन को मजबूत बनाने के लिए समर्पण के साथ काम किया और चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करके जीत दिलाई। राजस्थान में कांग्रेस की जीत के पूरे शिल्पकार सचिन पायलट हैं।लेकिन वही कांग्रेस आज सचिन पायलट को दोषी ठहरा रही है, पद से हटा रही है। सचिन पायलट के कारण ही राजस्थान में कांग्रेस की जीत हुई और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था लेकिन कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ऐसा नहीं कर पाया। वर्तमान समय में कांग्रेस अटक और भटक गई है और वह बुजुर्ग बनाम युवा नेताओं की लड़ाई से जूझ रही है। वास्तव में कांग्रेस के पतन का कारण गलत राहों में जाता कांग्रेस का कमजोर केंद्रीय नेतृत्व है और कांग्रेस में उत्पन्न अत्यधिक गुटबाजी भी कांग्रेस के पतन का कारण सिद्ध होगी। वह पार्टी जीवंत और मजबूत बनी रहती है जो प्रतिभाओं को और युवाओं को महत्व देती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस ने सिर्फ चाटुकारों को महत्त्व दिया है। कांग्रेस में आज ना कुशल नेतृत्व बचा है और ना ही प्रतिभाओं का सम्मान। सचिन पायलट , ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता जो भविष्य की कांग्रेस कहे जाते थे। उनका पार्टी छोड़ना कांग्रेस की असहनीय क्षति है और एक ऐसी रिक्तता है जिसे लंबे समय तक भरा नहीं जा सकता है। कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों के कारण अंत की ओर है। यदि कांग्रेस युवा नेताओं की फौज तैयार नहीं करेगी तो वह पार्टी कैसे आगे बढ़ेगी ? कांग्रेस मध्य प्रदेश की गलतियों को राजस्थान में दोहरा रही है। और वह एक ऐसी पार्टी बनती जा रही है जो गलतियों से सबक नहीं ले पा रही है। यदि कांग्रेस को जीवित रहना है, मजबूत होना है तो मेरी यही सलाह है कि वह चिंतन, मंथन और परिवर्तन को प्राथमिकता दे। युवाओं को महत्व दे, प्रतिभाओं को महत्व दे। क्योंकि प्रतिभावान युवा नेतृत्व और नेता ही कांग्रेस की एकमात्र संजीवनी बूटी हैं ।

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Satyam pandey
Satyam pandey 15 Jul, 2020 | 0 mins read

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राजस्थान में उत्पन्न सियासी संकट का जिम्मेदार कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व और कांग्रेस की नीतियां हैं । सचिन पायलट जो जनाधार वाले कद्दावर युवा नेता हैं और उन्होंने कई वर्षों से कांग्रेस पार्टी को संगठित करने में, संगठन को मजबूत बनाने के लिए समर्पण के साथ काम किया और चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करके जीत दिलाई। राजस्थान में कांग्रेस की जीत के पूरे शिल्पकार सचिन पायलट हैं।लेकिन वही कांग्रेस आज सचिन पायलट को दोषी ठहरा रही है, पद से हटा रही है। सचिन पायलट के कारण ही राजस्थान में कांग्रेस की जीत हुई और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था लेकिन कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व ऐसा नहीं कर पाया। वर्तमान समय में कांग्रेस अटक और भटक गई है और वह बुजुर्ग बनाम युवा नेताओं की लड़ाई से जूझ रही है। वास्तव में कांग्रेस के पतन का कारण गलत राहों में जाता कांग्रेस का कमजोर केंद्रीय नेतृत्व है और कांग्रेस में उत्पन्न अत्यधिक गुटबाजी भी कांग्रेस के पतन का कारण सिद्ध होगी। वह पार्टी जीवंत और मजबूत बनी रहती है जो प्रतिभाओं को और युवाओं को महत्व देती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस ने सिर्फ चाटुकारों को महत्त्व दिया है। कांग्रेस में आज ना कुशल नेतृत्व बचा है और ना ही प्रतिभाओं का सम्मान। सचिन पायलट , ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता जो भविष्य की कांग्रेस कहे जाते थे। उनका पार्टी छोड़ना कांग्रेस की असहनीय क्षति है और एक ऐसी रिक्तता है जिसे लंबे समय तक भरा नहीं जा सकता है। कांग्रेस अपने अंतर्विरोधों के कारण अंत की ओर है। यदि कांग्रेस युवा नेताओं की फौज तैयार नहीं करेगी तो वह पार्टी कैसे आगे बढ़ेगी ? कांग्रेस मध्य प्रदेश की गलतियों को राजस्थान में दोहरा रही है। और वह एक ऐसी पार्टी बनती जा रही है जो गलतियों से सबक नहीं ले पा रही है। यदि कांग्रेस को जीवित रहना है, मजबूत होना है तो मेरी यही सलाह है कि वह चिंतन, मंथन और परिवर्तन को प्राथमिकता दे। युवाओं को महत्व दे, प्रतिभाओं को महत्व दे। क्योंकि प्रतिभावान युवा नेतृत्व और नेता ही कांग्रेस की एकमात्र संजीवनी बूटी हैं ।

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Ashutosh kumar  Jha
Ashutosh kumar Jha 13 Jul, 2020 | 1 min read

देश को जन धन की तर्ज पर अनाज बैंक की जरूरत

जमाखोरो पर लगाम के लिए जन धन तर्ज पर आवंटन की जाय।

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Tejeshwar Pandey
Tejeshwar Pandey 12 Jul, 2020 | 1 min read

✍ कहानियाँ और भूखा पेट।

कहानियाँ सुन - सुना कर अपना भूखा पेट भर लेते है !

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