







संवेदनशीलता
” संवेदनशीलता यानि,दूसरों के दुःख-दर्द को समझना, अनुभव करना और उसके दुःख-दर्द में भागीदारी करना,उसमें शरीक होना। यह ऐसा मानवीय गुण है जिसके बिना इंसान अधूरा है।

व्यक्तित्व और योग्यता
मुकेश जी बहुत ही मिलनसार, विनम्र और सहयोगी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और हमेशा सकारात्मक मुस्कान उनके चेहरे पर दिखाई देती है जो इस बात का प्रमाण है कि हमारी जिंदगी में कितनी भी मुसीबतें क्यों ना आए हमें हंसकर उन से बाहर निकलना है ।

प्रतिकूल धाराएं और जीवन
साधारणतया हम अपने परिवार की छत्रछाया में रहते हैं। जहां हमारे माता-पिता, हमारे भाई बहन हमें हर तरह से आलंबन देते हैं। मां हमारे स्वास्थ्य का प्रेम पूर्वक ख्याल रखती है।

मातृ-शक्तियों शक्तियों का समाज में योगदान
एक दंपत्ति की वार्ता जो हम सभी के जीवन से संबंधित है ।इन दोनों के बीच कि आपसी समझ बूझ किस प्रकार एक दूसरे को इज्जत प्रदान करती है, यह दर्शनीय है। दोनों ही अपनी भूमिकाओं में श्रेष्ठ हैं और एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। बहुत ही सुंदर वर्णन जहां कहीं भी दंभ का दर्शन नहीं होता। यहाँ स्वैच्छिक मर्यादा में बंधी स्त्री मीठी सी चेतावनी भी प्रदान करती है।