परसाई
हरिशंकर परसाई आज हरिशंकर परसाई जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन! हिंदी व्यंग्य की दुनिया में जब भी घुसा जायेगा, परसाई ही परसाई मिलेंगे। मैंने उनकी पहली रचना 'टेलीफोन' पढ़ी थी, जिसके बाद खुद मुझे व्यंग में काफी रूचि बढ़ गयी थी। उसके बाद मैंने उनके द्वारा लिखे गए कई व्यंग पढ़े। आज के साहित्य में वैसा व्यंग मिलना दूभर है, परसाई जी के व्यंग में खास बात ये थी कि वो तमाचा जिसे मारते थे, ताली भी वही बजाता था, बाद में पता चलता कि अरे! मेरी ही खिल्ली उड़ गई। उनके व्यंग्यात्मक निबंधों में सामाजिक बुराइयों पर कटाक्ष देखने को सहज ही मिल जाता है। परसाई जी हिंदी साहित्य जगत में व्यंग के लिए एक अमिट छाप हैं, उनके बिना व्यंग अधूरा है।
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन एक त्यौहार जिसमे बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बाँधती हैं, और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। हिन्दू धर्म का ये पवित्रतम त्यौहार हमें एक पवित्र रिश्ते में जोड़ता है। अतः न सिर्फ हिन्दू धर्म में बल्कि सभी धर्मों में यह त्यौहार मनाया जाना चाहिये,क्योकि भाई और बहन का प्यार किसी मजहब विशेष का मोहताज नही होता। इसीलिए ये रिश्ता पवित्रतम् माना जाता है। जिस तरह भाई अपनी बहन को उसकी सुरक्षा का वादा करते हैं, मैं सभी बहनों से आग्रह करता हूँ कि वो भी अपने भाई को उसकी रक्षा का वादा करें, ये वादा अपने भाई को नशे, कुसंगति, और कुमार्ग पर चलने रोकने का होना चाहिए। बहन अगर अपने भाई से बदले में ये वादा लें कि वो इन गलत रास्तो में नही चलेगा,तो इस तरह से बहन अपने भाई की ज़िंदगी बदल सकती हैं।
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन एक त्यौहार जिसमे बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बाँधती हैं, और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। हिन्दू धर्म का ये पवित्रतम त्यौहार हमें एक पवित्र रिश्ते में जोड़ता है। अतः न सिर्फ हिन्दू धर्म में बल्कि सभी धर्मों में यह त्यौहार मनाया जाना चाहिये,क्योकि भाई और बहन का प्यार किसी मजहब विशेष का मोहताज नही होता। इसीलिए ये रिश्ता पवित्रतम् माना जाता है। जिस तरह भाई अपनी बहन को उसकी सुरक्षा का वादा करते हैं, मैं सभी बहनों से आग्रह करता हूँ कि वो भी अपने भाई को उसकी रक्षा का वादा करें, ये वादा अपने भाई को नशे, कुसंगति, और कुमार्ग पर चलने रोकने का होना चाहिए। बहन अगर अपने भाई से बदले में ये वादा लें कि वो इन गलत रास्तो में नही चलेगा,तो इस तरह से बहन अपने भाई की ज़िंदगी बदल सकती हैं।
ग़ज़ल
तुम क्या जानो अँधेरे में साये कैसे दिखते हैं, वे लोग सरसैया जलाकर इबारत लिखते हैं। हाँ है दर्द मेरी हालत में बहुत, तुम भी रोओगे हम लोग तो पत्थरों पर अपना भाग लिखते हैं। हमारा हाल लिखके वक़्त ज़ाया न करो अमन' ये अमीर हैं साहेब ये धूप में कहाँ दिखते हैं। ©aman_g_mishra
ग़ज़ल
मछुआरा पानी से डर कर बैठेगा, अँधियारा मुझ में घर कर बैठेगा? मैं हवा, ठहरा, तो क्या रुक गया, अपने घर तूफ़ां भी आकर बैठेगा। छोटी मोटी पतवारों को क्या छेड़ें, ये हाँथ जहाँ बैठेगा जम कर बैठेगा। कुर्सियाँ बिकती हैं खरीद सकते हो, मग़र जो बैठेगा इज़ाज़त लेकर बैठेगा। ग़ज़ल लिखी जाती है ऐसे माहौल में, तू पढ़ने बैठेगा तो संभलकर बैठेगा।
“Message” (Read & Act to save humanity)
“Message” (Read & Act to save humanity)
Water crisis in Bangalore
How to combat water crisis and few tips to save the water we have.