
Shubhangani Sharma
27 Jan, 2021 | 1 min read
पीर की कविता
निःसंकोच बहुत कुछ सहा होगा, जब किसी कवि ने कुछ अनकहा कहा होगा।।
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Shubhangani Sharma
14 Jan, 2021 | 0 mins read
कौनसी राह अपनाऊँ??
मैं तो हूँ अपनी सी, कोई दूजी सी कैसे बन जाऊँ??
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PAKASH DSOUZA
10 Jan, 2021 | 1 min read
ಸುಳ್ಳನ್ನು ಪ್ರೀತಿಸುವವನು ಮನುಷ್ಯ ಸಂಬಂಧಗಳಿಗೆ ಬೆಲೆ ಕೊಡುವುದಿಲ್ಲ!
ಸುಳ್ಳನ್ನು ಪ್ರೀತಿಸುವವನು ಮನುಷ್ಯ ಸಂಬಂಧಗಳಿಗೆ ಬೆಲೆ ಕೊಡುವುದಿಲ್ಲ!
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ARCHANA ANAND
01 Jan, 2021 | 1 min read
झुमरी का विवाह
आज झुमरी विदा हो गई थी और वह कच्ची झोपड़ी किसी विधवा की सूनी मांग की तरह उजाड़ दिख रही थी।इसी श्रीहीन घर की एक दीवार से हरिया टिका बैठा था...किसानों की अंतहीन व्यथा को रेखांकित करती एक मर्मस्पर्शी कहानी
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