तेरी आँखें
शीर्षक:— तेरी आँखें शर्माती हैं तो कभी नज़रें मिलाती हैं तेरी आँखें, न जाने कैसे मुझे मुझसे ही चुराती हैं तेरी आँखें, कुछ याद रह पाता नहीं, होश में दिल आता नहीं, जादुई से इशारे कर सब कुछ भुलाती हैं तेरी आँखें, चैन है न सुकून है, न लगता है दिल किसी काम में, इंतज़ार करा कराकर बेक़रारी बढ़ाती हैं तेरी आँखें, घायल हूँ, नैनों के तीर दिल जो सीधे रुह में उतर गए, फ़िर मुस्कुराकर ज़ख्मों को और बढ़ाती हैं तेरी आँखें, नाम “साकेत" का सुनते ही जो हया से झुक जाती हैं, लगता है मेरे आँखों से इकरार ही छुपाती हैं तेरी आँखें। . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength . Share if you relate⤮ Turn on the post notifications♡ . Follow The Post👇🏻 https://www.instagram.com/p/C2rAQnJJVt3/?igsh=a3htMmZuNzl4OXht . Tags👇🏻 #eyes #eyesspeak #आँखें #aankhein #romance #romantic #स्याहीकार #my_pen_my_strength
रामजन्मभूमि पर निर्मित राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की हार्दिकहार्दिक शुभकामनाएं
रामजन्मभूमि पर निर्मित राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं
ठिठुरन भरी ठंड
मौसम तो प्रकृती का व्यवहार है । प्रकृती हमेशा से ही कलम को गति देने वाला विषय रहा है। हम सब जानते हैं कि मौसम में बदलाव के वैज्ञानिक कारण होते हैं परंतु कलम उसका मानवीकरण कर उसके साथ अठखेलियां करती है ।