माँ के बाद माँ जैसी

Hidden care of wife

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Sumita Sharma
Sumita Sharma 27 Jul, 2020 | 1 min read

जब वो खाली कटोरे को ढक

कर परे सरकाती है।

मैं बाद में खा लूँगी, उसके चेहरे की तृप्ति  

सच बोलने का यक़ीन दिलाती है।

तब पत्नी कुछ कुछ माँ जैसी ही हो जाती है।


ख़ुद को बीमारी में भी सही जतलाती है

पर एक छींक पर भी मेरी वो तूफान उठाती है

न जाने किस किस पर शक़ कर 

चुपके से नज़र भी उतारती है 

फिर तुलसी के नीचे दिया भी जलाती है

तब पत्नी भी कुछ कुछ माँ जैसी ही हो जाती है


छुपाये हुए,डिब्बों में सँजोये हुए 

मायके से मिले पैसे ,

पल में हाथों मे भर लाती है

माथे की एक शिकन देखकर 

सब ठीक हो जाएगा यह 

भरोसा दिलाती है

तब पत्नी भी कुछ कुछ माँ जैसी ही हो जाती है

 

अपनी पसन्द अच्छी होने का रौब दिखा

बहुत कुछ बाजार से बटोर लाती है

अगर पहन लूँ,तो सन्तुष्टि से मुस्कुराती है

बदपरहेजी पर आँख भी दिखाती है

तब पत्नी भी कुछ कुछ माँ जैसी हो जाती है


जब बच्चे उड़ जाते हैं ,

अपनी मंज़िल की ज़ानिब को

और नीड़ हों पीछे सूने से

तब इधर उधर की बातों से 

अंतस के सूने आँगन में

वो नेह दीप धर जाती है

अपनी पीड़ा को ऑंखों के कोनो में कहीँ छुपाती है

तब पत्नी भी कुछ कुछ माँ जैसी हो जाती है

सुमिता शर्मा 

कानपुर 

मौलिक

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Sumita Sharma

sumitasharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Vineeta Dhiman · 3 years ago last edited 3 years ago

    सच्चाई है यह तो...👌💐💐

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत अच्छे

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत अच्छे

  • Sumita Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thank you

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