बरसात

Rainy season

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rekha jain
rekha jain 05 Jul, 2022 | 1 min read


बरसात


नदियां नाले भर गयें,भरे समंदर ताल।

शुष्क बसुधा तृप्त हुई,भीग गये सब बाल।(1)


कड़क-कड़क बिजली करें,मचा गगन में शोर

झूम -झूम कर झूमता,नाचें वन मे मोर।(2)


बादल गरज -गरज रहा,गरज उठा घनघोर।

बरखा आई झूमकर,जल ही जल सब ओर।(3)


बादल बैरी बरस रहे, बिन मौसम बरसात।

उम्मीदें सब लुट गई,ओलो के आघात।(4)


काले- काले मेघ है,बरस रही बरसात।

खुश होता किसान यहां,और झुकाता माथ(5)


रिमझिम बारिश हो रही,भीग गये सब गात।

तृपित मन हर्षित हुआ, पुलकित की बरसात(6)


आयी बरसा झूम के,मिटी धरा की प्यास।

बसुधा सूखी ना रहे, कोई न हो उदास।(7)


डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद 

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