राम

It's memoires about my realisation of Ram

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Avanti Srivastav
Avanti Srivastav 11 Aug, 2020 | 1 min read



        सारा जग है प्रेरणा,

        प्रभाव सिर्फ राम है।

        भाव सूचियां बहुत है,

         भाव सिर्फ राम है।


युवा कवि अमन अक्षर की लिखी यह पंक्तियां बताती है कि हमारे देश में " राम" का प्रभाव व भाव जनमानस पर कितना ज्यादा है। मैं जब इसे पढ़ती हूं तो मन बरबस ही 6 दिसंबर 1992 के दिन की याद दिला देता है।


   मेरी मौसी की शादी 9 दिसंबर 1992 को होनी तय हुई थी। हम दोपहर में लखनऊ के सबसे भीड़ भरे बाजार यानी कि अमीनाबाद में थे, बेहद खुश और उत्साहित।

   मैंने 12वीं की परीक्षा दे दी थी व छुट्टियां चल रही थी तो मैं भी शादी की तैयारियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही थी।

   मैं, मेरी मौसी व मेरी मम्मी तीनों लोग आराम से खरीददारी में मशगूल थे।

   तभी दुकानदार बोला कि हम दुकान बंद कर रहे हैं पूछने पर घबराकर बोला बाबरी मस्जिद ढह गई है और दंगों की आशंका है। आप लोग भी अपने अपने घर जाइए।   

    

हमारे सारे उत्साह पर जैसे ठंडा पानी पड़ गया। टेंपो से आए थे पर अब तक पूरा टेंपो स्टैंड खाली हो चुका था ।

    

सर्दियों की गुनगुनी धूप में हम सच में अब राम नाम जप रहे थे कि एक रिक्शावाला आया और बोला " कहां जाना है?"


उसे देख हमारा बैठने का मन नहीं किया, लंबी दाढ़ी व टोपी जो पहनी थी शायद मन में कुछ शंकाएं जन्म ले रही थी हमने झूठ मुठ कह दिया " कहीं नहीं ! आगे बढ़ो भैया "!


वह पलट कर बोला " भैया बोल रही है फिर भी डर रही है !" 

" बहन जी !" हम भी राम को मानते हैं मोहम्मद रफी का भजन  " मेरे राम! तेरा नाम एक सांचा " क्या आप नहीं सुनती "?  

वह विनम्रता से बोला " उसी राम की सौगंध आप को सही सलामत घर पहुंच जाऊंगा" ।


मैंने उसे पुनः देखा अब हमारे मन में उस रिक्शेवाले के प्रति आदर का भाव था मुझे महसूस हुआ कि राम का नाम एक धर्म विशेष का ना होकर पूरे भारतीय जनमानस से जुड़ा हुआ है । " राम " एक शब्द नहीं बल्कि प्रतीक है सत्य, विश्वास, प्रेम व त्याग का जिसमें यह सारे गुणवत्ता समाहित हैं वही राम का अंश है।


मौलिक व स्वरचित

अवंती श्रीवास्तव

    



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