तलाक के बढ़ते मामले

तलाक के बढ़ते मामलों के कारणों की पड़ताल

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Avanti Srivastav
Avanti Srivastav 07 Jul, 2022 | 1 min read



एक सभ्य समाज की सबसे छोटी इकाई होता है परिवार । परिवार ...यानी पति पत्नी और उनके बच्चे।

यह परिवार संयुक्त भी हो सकता है या एकल मगर दोनों ही परिस्थिति में पति-पत्नी का होना परिवार की धुरी होता है।

ऐसे अनेक खुशहाल परिवार स्वस्थ समाज की रचना करते हैं ।

वहीं टूटते बिखरते परिवार कैसा समाज बनाएंगे? इस कल्पना मात्र से हम घबरा जाते हैं परंतु जिस तरह से तलाक के मामले बढ़ रहे हैं वह दिन दूर नहीं जब समाज का ताना-बाना भी बिगड़ जाएगा।


अतः तलाक के कारणों की पड़ताल करके उनका निदान खोजना अत्यंत आवश्यक है।

तलाक के कई कारणों में से एक कारण है वफादारी की कमी , विवाहोत्तर संबंधों की बढ़ोतरी ऐसा इसलिए कि टीवी व फिल्मों में यह एक सहज व जरूरी चीज के रूप में उभर रही है।

यह भी सच है कि सोशल मीडिया व उपभोक्तावादी प्रवृत्ति ने व्यक्ति को आत्म केंद्रित कर दिया है उसे अपनी खुशी जिसमें दिखती है वह वही करना चाहता है भले ही उससे परिवार टूट जाए वह गुरेज नहीं करता।

जहां एक और महिलाओं ने शिक्षा अर्जित कर खुद को अपने पैरों पर खड़ा किया वहीं पुरुष अभी भी पारंपरिक सोच के चलते इसे स्वीकार नहीं कर पाते इस वजह से क्लेश होते हैं और तलाक में परिवर्तित हो जाते हैं।

जिस तरह आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी जी जा रही हैं ऐसे में रिश्तो को समय नहीं दिया जा रहा। दोनों पति-पत्नी आजकल नौकरी पेशा जिंदगी में बेहद मशरूफ रहते हैं उनके पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं बचता और यह दूरी कई बार तलाक में बदल जाती है।

बिखरते टूटे परिवारों का सबसे ज्यादा खामियाजा बच्चे भुगतते हैं। हम सब जानते हैं कि समाज में शादी व परिवार कितना जरूरी है। रिश्ते तभी संभलते है जब परस्पर सहयोग व आपसी समझ की भावना हो । अहम को किनारे रख कर रिश्ते निभाए जाते हैं। यह ना तो आजकल परिवारों में सिखाया जाता है और ना ही स्कूल कॉलेज में।

एकल होते परिवारों में अपने आंख के तारे से यह उम्मीद की जाती है कि वह अच्छा कैरियर बनाकर ढेर सारा पैसा कमाए । ऐसा व्यक्ति शादी के बाद नए जीवन साथी के साथ सामंजस्य बैठा लेगा कैसे संभव है?


तलाक के संबंध में किसी ने सच ही कहा है


  " तलाक एक मानसिक प्रताड़ना है

  एक साथ तीन पीढ़ियों को तबाह करती है " 


अतः हम सब को नई पीढ़ी को आपसी सहयोग, मदद व सामंजस्य स्थापित करने की तरफ अग्रसर करना पड़ेगा । सिर्फ कैरियर नहीं परिवार व जीवनसाथी का जीवन में होना भी खुशहाल जीवन की कसौटी है यह उन्हें समझना होगा।

आखिर कहीं भी आप चले जाओ मंजिल घर ही होती है जहां कोई बेसब्री से आपका इंतजार कर रहा हो।



स्वरचित व मौलिक

अवंति श्रीवास्तव



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Avanti Srivastav

avantisrivastav

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • CHARU RISHI MEHRA · 1 year ago last edited 1 year ago

    आपकी विचार धारा से मैं सहमत हूँ।

  • Babita Kushwaha · 1 year ago last edited 1 year ago

    bahut badiya

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