सूरज

सबका अपना-अपना नज़रिया होता है चीजों और लोगों को देखने का ।

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Aarti Kushwah
Aarti Kushwah 10 Apr, 2023 | 1 min read
#Sunrise

अक्सर लोगों को चाँद हसीन लगता है ,

लेकिन सूरज की तो अपनी एक अनोखी दास्ताँ है ।

अजब है उसका उगना और ढलना ,

किसी को वह उगते हुए पसंद है ,

किसी को वह ढलते हुए ,

और किसी को वह हर पल पसंद है ।

वह सुबह का आगाज़ करते हुए निकलता है ,

और साँझ की खातिर ढल जाता है ।

गंगाघाट पर सुबह-शाम आरती के साथ अपनी हाज़िरी लगाता है ,

तो दोपहर में अपने तेज़ को झरनों पर डालकर उनको सुनहरा बनाता है ।

हर दिन कभी हमारे आगे-पीछे ,

कभी हमारे दायें-बायें ,

और कभी हममें ही छुप कर ,

हमारी परछाई को छुपा लेता है ।

कभी छुप जाता है बादलों में ,

मानो अपनी उदासी को छुपा रहा हो ।

और कभी चमकता है अपने शौर्य के साथ ,

मानो अपना सर्वस्व तेज़ दिखा रहा हो ।

बारिश की बूँदों से अपने तेज़ को गुजार कर ,

सात रंग आसमां में बिखेरता है ,

और साँझ होते ही खुद ढल कर ,

चाँद का स्वागत करता है ।

नहीं बदलता है, अपनी कलाओं को वक़्त के साथ ,

ये सूरज है चाँद नहीं, जो बदल जाये वक़्त के साथ ।









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Aarti Kushwah

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