बातों वाली चिड़िया (भाग - 1)

कहानी थोड़ी पुरानी है। कभी जिसे चुगली कहते थे आज उसे सोशली अपडेट रहना कहा जाता है

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 19 Jun, 2020 | 1 min read
Think before post Social media vows

कहते हैं विषय में रुचि हो तो सीखने में भी मन लगता है। पर यहां बात कुछ अलग थी। नए कॉलेज में आनर्स के लिए अपना मनपसंद विषय चुनने के बाद पाखी का बिलकुल मन ना होते हुए भी उसने एक सहायक विषय के तौर पर हिन्दी चुनी थी। पहले पहल तो कारण इतना ही था कि साथ की सारी सखियों ने चुना था तो उसने भी चुन लिया। साथ की मतलब उसके मोहल्ले की लड़कियां। छोटा शहर और उनका गर्ल्स कॉलेज। छोटे शहरो में अलग बात होती है, उनके छोटे मोहल्लों में बने बड़े बड़े याराने और दो सड़क पार किया तो आ गया कॉलेज। समय की बर्बादी बिल्कुल नहीं और हर चेहरा अपना सा लगता है।

 

खैर! लड़कियों की दलील यही थी कि हिन्दी की प्रोफेसर उनके बगल वाले मोहल्ले की है तो नोट्स लेने में काफी सहूलियत होगी। हिन्दी की प्रोफेसर डॉ आशा, पाखी ने जब उन्हें पहली बार देखा तो देखते रह गई थी। पता नहीं कौन सा सम्मोहन था? उनके चश्मे के उस पार उनकी गहरी आँखों से पाखी की नजर हटती ही नहीं थी। वो खुद नहीं समझ पाती की मनोविज्ञान के लेक्चर खत्म करके आशा मैम की आँखों में वो कौन सा मनोविज्ञान खोजती थी।

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Sushma Tiwari

SushmaTiwari

Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    क्रमश: नही लिखा आपने, कहानी रोचक होगी, आगाज से लगता है,

  • Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    आपके लेखन हमेशा उम्दा होते हैं🙏👌

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