धान की पौध सी लड़कियां

धान की पौध सी लड़कियां

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 29 Jul, 2020 | 1 min read
Girl child Poetry Life philosophy



बीज पड़ते ही किसान देखने लगता है

उसके भविष्य के सपने 

किसी तरह बस रोपाई

अच्छे से हो जाए 

छोटी सी पौध 

लहलहाती फसलों में बदल जाए

अंकुर निकलते ही पूछती है हरियाली


बाबा क्या जरूरी है 

किसी और खेत में रोप दिया जाना?


हां बिटिया! वह बड़ा खेत होगा

जहां तुम सुनहरी फसलों में बदल जाओगी जहां तुम अन्न बनकर 

सबके काम आओगी 


पर बाबा! अगर यूं हटाने और रोपने से 

मैं सूख गई तो ?


नहीं बिटिया ख्याल रखेंगे कि 

तुम्हें उचित पानी में बोया जाए 

मैं देख आया हूं वह खेत 

उपजाऊ मिट्टी और 

पानी का पूरा इंतजाम है 


पर बाबा क्या कभी सोचा है 

अनजाने आने वाली कोई बाढ़

अगर मुझे डूबा ही दे तो?


बेटा मैं किसान हूं 

मैं नियति के भरोसे ही फसल उगाता हूं 

उस फसल का भविष्य 

उसकी नियति ही तय करती है 

मैं मजबूर हूं 

किसान की फसल तो दूसरों का पेट भरती है।

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Sushma Tiwari

SushmaTiwari

Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहतरीन सृजन दी

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice imagination

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