तमन्ना - चाहत दिलों की (भाग - 3)

जो बात दिल में आई जुबां तक आकर रह गई.. वो जाने क्या कहने आई थी अनकहा कह कर रह गई

Originally published in hi
Reactions 1
470
Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 09 Sep, 2020 | 1 min read
Love 90s Series of stories Stories by Sushma Story

वो कहर बन कर बरसेगें

हम खाक होने को खड़े है 

वो ढीठ खुद को कहते हैं 

बेकार जिद पर क्यूँ अड़े है... 



सामने से बिजली की तरह आती हुई सोनाली सच में किसी तूफान की तरह ही लग रही थी। उसका चेहरा साफ साफ बता रहा था कि वह अभी भी नाराज है। आदित्य को खुद पता नहीं था कि वह सोनाली की तरफ इतना आकर्षित क्यों हो रहा है, शायद यही जानने के लिए वह उसके कहने पर लाइब्रेरी के बाहर खड़ा था। उसका दिल भी जानना चाहता था कि आखिर किस वजह से उसने हॉस्टल में घुसने जैसी गुस्ताखी के लिए उसे माफ कर दिया गया हालांकि चाचा जी ने बहुत लताड़ा था। सवालों के जखीरे के साथ इसके पहले की सोनाली टूटती आदित्य पर, अचानक सैमी वहाँ आ गया। 

उसने एक नजर करीब पहुंच चुकी सोनाली पर डाली और अपना मुँह धीरे से आदित्य कान के पास ले जाकर कहा 

" एक गडबड हो गई है वो बासु.. बासु और उसकी टीम ने वार्षिक कॉलेज फेस्ट का काॅनट्रेक्ट हमसे पहले साइन कर लिया।" 

बासु का नाम सुनते ही आदित्य जैसे किसी मोह जाल से वापस निकल पुराना आदि बन गया। 

" ऐसे कैसे हमसे पहले कर लिया..हमने तय किया था ना हमारे प्लान्स है.. ऐसे कैसे.. मिहिर.. मिहिर को बोला था फॉर्म टाइम पर लाने के लिए.. कहां है वो "

आदित्य लगभग चीख रहा था। सोनाली के वज़ूद से बेखबर, गुस्से से लाल पीला हुआ जा रहा था। 

" आदि! मिहिर ने बोला था वो कर लेगा.. दरअसल वो बास्केट बॉल टीम में है इसलिए जरा बिजी था। उसके पीठ पीछे बासु प्लानिंग कर रहा था.. और उस पर सब को लग रहा था कि तेरे अंकल.. अंकल है तो तूझे ही मिलेगा हर बार की तरह " 

सैमी जानता था आदि के गुस्से को। 

आदित्य को सच मैं यकीन नहीं हो रहा था की चाचा जी ने उसकी अर्जी खारिज करके बासु को कॉलेज फेस्ट का काम दे दिया था। क्या इसके पीछे सोनाली के साथ हुए उसके कल के व्यवहार एक वजह थी? नहीं नहीं.. एक छोटी सी बात के लिए उसकी साल भर की मेहनत पर पानी फेरना बिल्कुल भी जायज नहीं था। 

" चल बात करना पड़ेगा और चाचा जी से भी और वासु से भी.. यार सैमी मैं स्पॉन्सर को जबान दे चुका हूं, मेरी बहुत बड़ी फजीहत हो जाएगी।" 

आदित्य ने एक रूखी से नजर सोनाली पर डाली और सैमी के साथ निकल गया। अब जैसे उसे अपने सवालों का जवाब मिल चुका था। हां कॉलेज फेस्ट छीन कर उसे सजा हो चुकी थी और वह भी सोनाली के वजह से। 

आदित्य के जाने के बाद सोनाली वहीं खड़ी कुछ देर के लिए शून्य में ताकती रही, 

किस तरह का व्यक्तित्व है यह? एक पल में सर पर मंडराते रहता है तो दूसरे पल छिटक कर दूर चला जाता है। खैर उसे क्या? 

तब तक अमृता वहां लगभग हांफती हुई आती आती है 

" तू क्लास के बाद यहां आई और बताया भी नहीं.. एक्चुअली तेरे जाने के बाद ही हॉस्टल में खबर भेजी गई थी कि नए बास्केटबॉल के कोच आज आए हैं और टीम में सिलेक्शन के लिए तेरी एप्लीकेशन स्वीकार कर ली गई है... वह तुझे ग्राउंड में मिलेंगे.. तू तो लेट हो गई ऑलरेडी और वह समय के बहुत पक्के हैं.. जा जल्दी.. "

अमृता ने घड़ी पर नजर डालते हुए कहा। सोनाली भी जैसे नींद से जागी। 

" हां अमृता ! मुझे भी जाने क्या हो गया था.. किन बातों में खुद को ऊलझा लिया मैंने... थैंक यू डियर "

कसकर अमृता को गले लगाने के बाद सोनाली दौड़ती हुई ग्राउंड की तरफ चली गई। 

अमृता स्तब्ध सी वहीं खड़ी थी। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी। यह लड़की जहां रहती है माहौल खुशनुमा ही रहता है बस इसका यह जादू नमन सर पर भी चल जाए। 


*******

सैमी और आदित्य तेजी से आए और कैन्टीन के टेबल पर एक पर्चा रख दिया। 

" ये क्या है बासु? मतलब सब पहले से तैयारी थी.. आज ही परमीशन मिली और प्रोग्राम का पर्चा नोटिस बोर्ड पर? काफी फास्ट हो?" 

पर्चा हाथ में लेकर बासु मुस्कुराया और खड़ा होकर आदित्य के कन्धे पर हँसते हुए थपकी दी। 

" हाँ भाई.. फास्ट होना पड़ता है.. कॉलेज फेस्ट का सवाल है.. स्पाॅनसर्स का सवाल है..गर्ल्स हाॅस्टल में घुसने से नहीं मिलता ऐसा मौका और अब मेरे चाचा जी डीन तो नहीं जो मेहरबान रहें.. वैसे एक बात अच्छी हुई, तुम्हारी इस हरकत की वजह से मुझे तुम्हें कमिटी के सामने नकारा साबित करना आसान हो गया.. तो थैंक यू मेरे दोस्त "

आदित्य के आँखों में खुन उतर आया था। बासु की छोटी मोटी हरकते चलती थी पर ऐसा उसने कभी नहीं किया। और गलती उसकी ही थी.. जाने उसे क्या हो गया जो इतना खास मौका उसने हाथ से यूँ जाने दिया वो भी सोनाली के चलते। गहरी साँस लेकर उसने फिर शांत लहजे में कहा 

" देख बासु! तू जानता है.. मैं स्पाॅनसर्स के साथ काॅनट्रेक्ट कर चुका हूँ.. प्लीज बात मान.. मत कर " 

" तो मैं क्या करूं? ये तेरा ओवर काॅनफिडेंस है जो तूने कॉलेज को अपनी जागीर समझ रखी है " 

बासु के ऐसा बोलते ही आदित्य ने आपा खो दिया और उसका कॉलर पकड़ लिया। दोनों के झगड़ों को आसपास के लड़कों ने छुड़ाया और सैमी आदित्य को खिंचते हुए ले गया। 

******

दौड़ती हुई सोनाली बास्केटबॉल मैदान के पास पहुंच चुकी थी। मेन कैम्पस से ये थोड़ा दूर था। कल की कीचड़ खूब लिपट ली थी उसने अपने सैन्डल में और दुपट्टा भी छींटों से भर गया था। हाथ से दुपट्टा झाड़ते हुए वहाँ पहुँच उसने एक नजर 28 बाई 15 के मैदान पर डाली। उफ्फ सारे लोग एक ही जगह खड़े थे, एक से कपड़े.. कोच कौन है इनमे? 

तभी पीछे से आवाज आई 

" मिस माथुर! लहराते हुए आ रहीं है आप.. और ये क्या पहना है? डांस प्रोग्राम नहीं था यहां.. आपके टीशर्ट - शॉर्ट्स कहाँ है? " 

सोनाली ने पीछे मुड़ कर देखा। कद काठी देख समझ गई और फुसफुसाई

 "ओह! तो ये है नमन सर.. बैड स्टार्ट सोनाली "


क्रमशः....





1 likes

Published By

Sushma Tiwari

SushmaTiwari

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    रोचक शुरुआत

Please Login or Create a free account to comment.