काश तू साथ होता

बुढ़ापे में सारी सुविधाएं बेकार लगती है बस चाहत होती है परिवार के कुछ पलों का साथ मिल जाए तो जिन्दगी कितनी आसान हो जाए

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 29 Jun, 2020 | 1 min read
Elders issues Parents in old age

संपन्नता किसे कहते हैं? शायद उसे ही जो शर्माजी के पास थी। अच्छी नौकरी, बढ़िया घर, फिर आराम से रिटायर्मेंट, बिटिया अपने पैरों पर खड़ी और उसकी अच्छे घर में शादी, लड़का भी पढ़ लिखकर सेटल हो गया है।

फ़िर भी कुछ तो खलता है। श्रीमती जी के जाने के बाद जैसे जिंदगी ने मुँह मोड़ लिया हो। शरीर के बुढ़ापे से ज्यादा मन का बुढ़ापा तंग कर रहा था। खिड़की पर उदास खड़े बाहर से आ रही हवा को चेहरे पर बस महसूस कर पा रहे थे।


चेहरे की परेशानी देख कर बेटे रवि ने पूछा 

" पापा! क्या हुआ परेशान लग रहे हैं?" 


"रवि! बेटा इस आंखो के ऑपरेशन ने तो अंधा बना के रख दिया है, अब मैं सुबह सुबह टहलने नहीं जा सकता हूँ, समझ ही नहीं आ रहा है कि सुबह की शुरुआत ऐसे तो बाकी पूरा दिन कैसे काटूं?" 

" डोंट वरी पापा मैं देखिए क्या लाया हूँ! ये सफेद छड़ी ले कर जाएं, कोई तकलीफ नहीं होगी।"

 शर्माजी ने छड़ी लेकर प्यार से सहलाया और बाहर चले आए। मन मे सोचा टहलते हुए "बेटा! काश चलते चलते छड़ी के बदले तुम्हारा साथ मिल जाता थोड़ा.. जिंदगी कितनी आसान हो जाती "

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Sushma Tiwari

SushmaTiwari

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    भावपूर्ण।अंतिम पंक्ति पढ़कर आँखें नम हो गई

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