हौसलों का पुल

विश्व कविता दिवस

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 21 Mar, 2021 | 1 min read
World poetry day

मेरे और मेरे ख्वाबों के बीच

बस इतना सा फासला है

कोई लकड़ी का पुल नहीं है

जो है वो बस मेरा हौंसला है।


जाने कितनी दूरी तय कर आई

एक छलाँग कौन सी बड़ी बात है? 

बात बराबरी की कभी थी ही नहीं

अपनी-अपनी कोशिशों का मामला है। 


नाप लूँगी गहराई इस खाई की 

बित्ते भर चाहत की बस जरूरत है 

कैसे नापूंगी गड्ढे में गिरी सोच को? 

ढर्रे से गिरा आदर्श अंदर से भी खोखला है। 


मुझे नजर आते है चांद और सितारे! 

कदमों में बिछने को सदियों से तैयार... 

जिन्हें नजर आती है अटकलों की दीवार 

उनकी उम्मीद का चश्मा हल्का सा धुँधला है।


-सुषमा तिवारी

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