बप्पा स्कूटर वाले

तंग गलियों और समय की बचत, दोस्त ने टू व्हीलर शेयर की और बप्पा ने सपना पूरा किया।

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 04 Sep, 2019 | 1 min read

"पापा, प्लीज!! मुझे बाइक लेनी है, आप नहीं समझते मुझे दोस्तों के साथ घूमना, क्लास जाना बहुत कुछ करना होता है"।

लैपटॉप से बिना नज़र हटाए पापा ने कहा "मैडम!! सुनो साहबजादे की, मालूम है हमारे यहाँ तीन फोर व्हीलर है, इन्हें अभी भी तकलीफ ही है.."

माँ ने कमान संभाली" तूझे पता है कि छोटे चाचू की बाइक एक्सीडेंट में जाने के बाद ही दादाजी ने कह दिया था हमारे खानदान मे कोई भी टू व्हीलर नहीं चलाएगा।"

अरे माँ, ये कौन सी बात पकड़ कर बैठो हो, गाड़ी कोई भी हो सेफ्टी होती है एक्सीडेंट का कारण.. आप लोगों से बहस का फायदा नहीं। कोचिंग के लिए लेट हो रहा था, घर से निकला और थोड़ी दूर पर शमी मेरा दोस्त बाइक लेकर खड़ा था, हम क्लास निकल गए। शमी की बाइक पर बैठ कर जैसे मैं हवा से बातें करता था।

कुछ ही दिन बाद गणेश महोत्सव था तो क्लास की छुट्टी हो गई और पापा को मेरा "आवारा" दोस्तों के साथ घूमना पसंद ना था।घर पर ही था मै। गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठ कर ही दादी बोली छोटे चाचा सपने में आए थे, बाल गणेश लाने की तैयारी करो। मच गया तूफान भाई कैसे करें, इतनी जल्दी?? खैर जल्दी जल्दी पूजा की तयारी शुरू हुई, और बारिश का हाल ऐसा की आज छोड़ कर कल नहीं बरसेगे। नजदीक की हर दुकान पूछ लिया बाल गणेश कहीं नहीं। दादी का रो रो कर बुरा हाल, चाहिए तो बाल गणेश ही, मुहूर्त से पहले। पापा ने पता किया, उनके एक दोस्त से घाटकोपर मे मिल रही थी। खैर फटा फट कार निकाली कल्याण से घाटकोपर के लिए। भारी बारिश और ट्रैफिक के बीच हम दुकान पहुंचे बप्पा को लिया। यहां तक सब ठीक, उसके बाद तो जाम इतना भयंकर बढ़ा, सड़क पर कार रेंग रही थी, घर से फोन आ रहे थे, कहां पहुचे मुहूर्त निकल रहा है। क्या बताते, लग रहा था आज तो ना ही पहुंच पाएंगे।

  एक घंटे बाद भी हम चेंबूर नहीं पहुंच पाए। अचानक खिड़की की कांच पर दस्तक हुई.. अरे शमी तू.. मेरा दोस्त शमी था, पता चला कुर्ला आया था कुछ काम से अब कल्याण वापस जा रहा था।

 "तेरे घर बप्पा ला रहे हैं तू बताया नहीं.."

"अरे अचानक हुआ यार," मेरी रुआँसी और खिझलाई हुई आवाज़ से वो परेशानी समझ गया।

"सुन मेरे पास एक्स्ट्रा रेन कवर है, बप्पा को लेकर आजा मेरी बाइक पर मैं छोड़ता हूं कल्याण।

पापा ने तुरंत हाँ कर दी, शायद दादी के आंसू उनसे देखे नहीं जा रहे थे।

मैंने बोला पापा आप जाइए क्यूँकी पूजा पर आपको बैठना है।

तंग गलियों की ट्रैफिक से निकल कर फटा फट पहुंच गए और समय पर स्थापना हो गई। मैं घर पहुंचा चार घंटे बाद तो देखा शमी मोदक पर हाथ साफ कर रहा था और मुस्करा रहा था। पापा ने कहा "आओ बेटा आशीर्वाद लो बप्पा का"

और धीरे से कान में कहा वैसे स्कूटर से काम चला लोगे क्या, बाइक में थोड़ा खतरा है??"

मैं तो जैसे उछल पड़ा, बप्पा ने मेरी मुराद पूरी कर दी, चाचू थैंक्स दादी को सपना दिखाने को। पापा मान गए तंग गलियों, और ट्रैफिक में टू व्हीलर सही काम आती है। इसके बाद बप्पा की बिदाई मेरे पीली स्कूटर पर हुई।

वो गणेशोत्सव यादगार था।

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