सीख गई हूं

ना उम्मीदी से उम्मीद की ओर

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 27 Aug, 2019 | 1 min read

सन्नाटे से नफरत थी, बक बक करती रहती थी

तन्हाई से थी घबराती मैं 

अब अकेलापन भी प्यारा लगता है, हाँ चुप रहना सीख गई हूं


हर बात में नुक्स निकालना, हर किसी से शिकायत थी रखती

अब सब पूरा पूरा लगता है, हाँ खुश रहना सीख गई हूं


कोई लक्ष्य नहीं, कोई राह नहीं थी, बंजारों सी जीती थी मैं

अब आंखो में कुछ सपने है, हाँ उम्मीदों को जीना सीख गई हूं


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Sushma Tiwari

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