मेरी अपनी चमक

चाँद बनूँ या सूरज

Originally published in hi
Reactions 0
464
Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 31 Aug, 2019 | 0 mins read

आज फिर वही स्वप्न देखा

पिंजरे में बंद मैं उन्मुक्त होने को

पंख घायल करती

बेड़ियाँ तोड़ उड़ने की कोशिश

फ़िर अचानक नींद खुल जाती है

मेरा चांद का टुकड़ा चाय ला दो

शहद घुली आवाज़ आती है

हाँ मैं उनकी चांद हूं

वो मेरे लिए पृथ्वी है

बाँध रखा है अपने प्रेम के बंधन में

मैं उनकी बस परिक्रमा करती हूं

कितनी दुविधा है मन में

सामने सूर्य होके भी मैं उससे दूर हूं

अपनी चमक के लिए

दूसरों पर आश्रित मजबूर हूं

कुछ सपने अपनी डायरी में

हमेशा से कैद कर रखे हैं

काश तुम उसे पढ़ लेते

और चांद होने से मुक्त कर देते

बनना चाहूँ एक उन्मुक्त तारा

अपनी हो जिसमे चमक

क्या हो जो अगर एक दिन

मेरे सपनों को पंख लग सके

रंग बिरंगी तितली बन कर

उन्मुक्त गगन मे उड़ सके

अपने ख्यालों से निकल

प्याले में चाय सजाती हूं

चलती हूं मैं चांद हूं

सिर्फ रात में ही जगमगाती हूं


0 likes

Published By

Sushma Tiwari

SushmaTiwari

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.