मॉम सुनो ना मुझे भी गरबा खेलना है, देखो सब कितनी खुश दिख रहीं हैं। रागिनी ने माँ को मोबाइल पर दिखाते हुए कहा लेकिन मां जो की ये मानतीं थी की हाई सोसाइटी के लोगों को सड़क पर नाचना शोभा नहीं देता। अगर जाना हैं तो क्लब जाओ, कोरियोग्राफर बुला लो। रागिनी ने मना कर दिया, उसे याद है बचपन से अपनी बालकनी से नीचे देखती बच्चों को खेलते झूले पर, पर मम्मी उसे सिर्फ क्लब हाउस ले जाती। आज भी जब वो बालकनी में जाती जी करता है हवा में एक झुला और वो झूल जाए सारा बचपन लेकर।
बचपन का झुला
दिल में अरमान स्टैटस देख कर तो नहीं आ सकते
Originally published in hi
Sushma Tiwari
20 Sep, 2019 | 1 min read
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