देखो ज़माना कैसा?

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 21 Apr, 2020 | 0 mins read

चाहिए था तूझे भी सुकून

चाहिए था मुझे भी सुकून

फ़िर इन सुकून के पल से

अब तेरा घबराना कैसा?

की गलतियां तुमने भी

की गलतियां हमने भी

फ़िर इस गलती मान लेने से

अब तेरा शर्माना कैसा?

वो धरती तेरी भी थी

वो धरती मेरी भी थी

जो बर्बाद कर चले थे

अब तेरा हक जताना कैसा?

मर मिट जाने की ख्वाहिश

मिट्टी में सिमट जाने की ख्वाहिश

पर अपने लिए ही इसे बख्श देते

ना समझे तू दीवाना कैसा?

कुछ दिन रह जा घर में

कुछ दिन थम जा घर में

आने वाले कल का क्या भरोसा

फ़िर मिले ना मिले ठिकाना ऐसा?

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