कितना प्यारा है ये प्यार - 2

1999 की प्यार भरी कहानी, जानते है आगे क्या हुआ रुचि और रवि के प्यार का

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 May, 2020 | 1 min read

प्राची के समझाने के बाद रुचि ने तय कर लिया कि रवि से जरूर बात करेगी।

कॉलेज से लौट कर एसटीडी बूथ जाकर हॉस्टल में फोन घुमाया।

" ऐसा क्या हो गया रुचि , सब ठीक? "

" रवि जी, भाभी को पता चल गया "

" क्या? "

" क्या मतलब वही जो हम महसूस करते हैं एक दूजे के लिए "

" रुचि तुमने मेरा डर निकाल दिया,मैं डर रहा था तुमसे कहा नहीं। क्यूँकी जानता था मेरे प्यार को तुम महसूस कर ही लोगी और अगर मेरा प्यार एकतरफ़ा हुआ तो तुम जैसी अच्छी दोस्त भी खो दूँगा। अब जब तुम्हारे तरफ से हाँ है तो मैं घर पर बात करूंगा। बस अगले महीने मेरा प्लेस मेंट हो जाए अच्छी कंपनी में। "

रुचि के पैर जमीन पर नहीं थे। प्रेम की रूमानी दुनिया ने जैसे उसे नए पंख दे दिए थे। रवि से फोन पर चंद मिंटो की बात भी उसे नई ऊर्जा दे देती थी।

शायद प्रेम मिल जाना इतना आसान नहीं था। प्लेसमेंट में रवि को कोई अच्छी कंपनी नहीं मिली। इधर रुचि के पापा ने भी रुचि की शादी के लिए अच्छे अच्छे रिश्ते देखने शुरू कर दिए थे। रुचि चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती क्यूँकी रवि ने मना किया था कि अच्छी जॉब होगी तो वो खुद ही बात करेगा। रुचि क्यूँकी इकलौती बेटी थी इसलिए उसके पापा हर रिश्ते को उससे पसंद जरूर पूछते थे। रुचि कोई ना कोई कमी निकालती और रिजेक्ट कर देती थी। रुचि की दीदी को भी इस बात पर गुस्सा आता पर मीरा जिद पर अड़ी रहती। ईन सब बातों का असर रुचि की पढ़ाई पर भी पड़ा और उसके मार्क्स सोचे से कम ही आए । रुचि अब दुगुनी परेशान थी। रह रह कर रवि से झगड़ा भी हो जाता था। प्राची ने सलाह दी कि या तो उसे अब पापा की बात सुन लेनी चाहिये या रवि बात करे सबसे। रुचि इस तरह घरवालो को परेशान कर अपनी इमेज ना खराब करे। रुचि ने हिम्मत कर के माँ से बात की तो माँ बिफर पड़ी। माँ ने कहा कि उनकी बेटी हमारे घर है अब रीति अनुसार हम उनका पांव पूजन नहीं कर सकते हैं तो तुम भूल जाओ। रुचि बहुत दुखी हुई। इधर पापा की तबीयत भी बिगड़ने लगी थी। रुचि ने रवि को समझाया कि तुम कोई भी नौकरी देख लो और घर पर बात करो। रुचि की बात सुन कर रवि पहले तैयार ना हुआ फिर बोला इस तरह हड़बड़ाहट में कंपनी जॉइन करना कैरियर में सूइसाइड होगा पर रुचि के लिए वो इस लिए भी तैयार है। इस दौरान प्राची की शादी भी हो गई और रूचि और अकेली पड़ गई थी। प्राची फोन पर रुचि को हिम्मत देती रहती की प्रेम इम्तेहान लेता है और अगर सच्चा प्रेम है तो मिलेगा जरूर याद रखना।

To be continued..

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