शाम- ए - ग़ज़ल

This gazal is for the special program of paperwifff tv shaam - e - gazal. The whole credit goes to that "zehen" , my ramani 😊

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आदि
आदि 27 Jun, 2022 | 1 min read

कुछ गहरा जो उतरा होगा मेरे अंदर

वो चेहरा जो उतरा होगा मेरे अंदर

मैं कितने अंदर हूँ ख़ुद के अपने

वो कितना गहरा उतरा होगा मेरे अंदर।।


बे नाम है इन सभी दर्दों को दवा दे दो

कुछ ख़ता हुई है, अब मुझे कज़ा दे दो

सारी मेहफ़िल में हम एक ही तो हैंऐसी मेहफ़िल से हमें अब जुदा दे दो

ये कैसी ख्वाहिशें पाल ली आदि

इन्हें यहाँ से जाने की दुआ दे दो

अरे तुम्हें मालूम नहीं सबब इन गहरे ख्वाबों का

इनसे बचने के लिए दिल से फरमान - ए - ख़ुदा दे दो

होशियार ये तामीर ठीक नहीं

इन इमारतों में रहने वालों को सज़ा दे दो

इरादा करो ताहिर बंदिगी करोगे

मेरे तौर - ए - इबादत को अब ख़ुदा दे दो।।

आदि रमानी ✍️


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