वो एक का सिक्का....कितना खास था कभी !

आज के महंगाई के दौर में जहां एक का सिक्का विलुप्त सा हो गया है। वहीं उसका मूल्य आज की पीढ़ी नहीं समझ पाती। कभी ये एक का सिक्का कितनी खुशी दे जाता है। इसी तथ्य को समझने का एक प्रयास।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 14 Apr, 2021 | 1 min read
#summershortstoriea

आज साहिल को एक का सिक्का दिया तो बोला, "क्या मम्मा इसमें क्या मिलेगा? आज कल तो 100 रूपे में भी कुछ भी नहीं आता।और आप हो कि ये एक का सिक्का दे रही हो। मैं क्या करूंगा इसका"?

सुमन बोली, "हां बेटा दे रही हूं ताकि इसकी कीमत समझ पाऊं तुम। चलो कुछ दिखाती हूं तुम्हे, पास में मजदूर के बच्चे खेल रहे थे रेत में, उन्हें देख सुमन वहां गई और सबको एक का सिक्का दे दिया।"

वो बच्चे खुशी के कूदने लगे। उन्हें देख साहिल बोला, "क्या सच में इतना खास है ये सिक्का"?

सुमन बोली, हां बेटा जिनके पास कुछ नहीं है उनके लिए बहुत खास है ये सिक्का। बचपन में ये एक सिक्का जब हमें मिलता था तो हम झूम उठते थे। तब उस एक के सिक्के में २ आइस्क्रीम तक आ जाती थी। और तो और उसमे 4 संतरे वाली टॉफी भी मिल जाती थी। इतना खास था ये सिक्का तब।

आज भले ही तुम्हे न लगे खास फिर भी बूंद बूंद से घड़ा भरता है ये तो जानते ही हो। तो लो इसे डाल लो अपनी गुल्लक में।

साहिल सिर हिलाते हुए बोला, ठीक है मम्मा आपकी बात हमेशा याद रखूंगा।

धन्यवाद।

लेखिका - विनीता सिंह तोमर "मनस्वी"

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