त्यौहार का रंग!

त्यौहार का रंग और आनंद तभी समझ आता है,जब खुद उसे जिया जाए। पहले साधन जरूर कम थे लेकिन त्यौहार कभी फीके नहीं लगते थे।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 18 Mar, 2021 | 0 mins read

बचपन की बातें खास थी,

हर त्यौहार का अपना रंग था ।

कुछ प्यार सा,कुछ मीठा सा,

हर उम्मीद और खुशी का मिलता संग था।

होली मेरी खास थी,

आती साल में एक बार थी।

खूब तैयारी करते थे,

गुलाल अबीर सब रखते थे।

बनाकर दोस्तो की टोली,

हर एक को रंग दिया करते थे।

वो रंग भी कितने खास थे ,

प्रेम,भाईचारे और सौहार्द के थे।

ना कोई लड़ता, ना कोई झगड़ता था।

मिलजुल कर त्यौहार सबका मनता था।

आज तो वो मौज ही नहीं दिखती,

वो दोस्तो की टोली कहीं नहीं दिखती।

हर कोई अपनी पार्टी में मस्त है।

त्यौहार बस मैसेज भेजने तक अब सीमित है।

वो चहल पहल, वो रौनक अब गायब है।

वो रंगो का त्यौहार अब नीरस है।

थोड़ा समय निकाल,

आओ फिर से खेले होली।

सच्ची मस्ती,और प्रेम की बनाकर फिर से टोली।

त्यौहार का रंग फिर से गुलजार हो जाए,

बस वो प्यार भरा बचपन एक बार लौट आए।










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Vinita Tomar

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