मुखौटा

कितनी ही जिंदगी जीते है हम अपने असली रूप को छोड़ कर।

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Vinita Tomar
Vinita Tomar 02 Mar, 2021 | 0 mins read

सुबह हुई और दूर हुआ सन्नाटा

लोगो ने फिर पहन लिया मुखौटा।

किसी को खास लगा,किसी को मजबूरी

फिर भी लोगो ने पहन रखा ये मुखौटा।


किसी की खुशी से खुश नहीं होते

उन लोगो ने पहन रखा करीबियों का मुखौटा।

किसी की दर्द को और बढ़ा दे वो,

उन लोगो ने भी पहन रखा समाज का मुखौटा।

कितने ही मुखौटो में कहीं गुम गया सच का मुखौटा।

यहीं तो आज की सच्चाई है दोस्तों,

बस रह गया एक मुखौटा।










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Vinita Tomar

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