Vinita Tomar
Vinita Tomar 17 Jun, 2021
कागज की कश्ती
बड़े शौक से बनाते थे वो कागज की कश्ती चलेगी पानी में,बनकर हमारी कश्ती। मासूम सी तमन्ना थी सैर करने की बारिश आती तो बना लेते एक "कागज की कश्ती"। कितनी भी दूर चले लगती थी प्यारी अरमानों को जीत लेती थी वो कश्ती। कभी मौहल्ले में कभी घर में ही बारिश का मजा देती थी मेरी कश्ती। यादों में आज भी रहती है वो अपनी, जाने क्यों नहीं दिखती अब वो "कागज की कश्ती"।

Paperwiff

by vinitatomar

17 Jun, 2021

#microfables contest

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