शीशमहल

लॉक डाउन के समय हर परिवार में औरतों की हालत का वर्णन

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 06 Apr, 2020 | 1 min read

सुधा "एक कप चाय तो बना दो" रवि ने अपने रूम से ही कहा...

अभी लाती हूँ कहकर सुधा चाय बनाने लगी। लेकिन सोच रही है। इस कोरोना ने तो मेरी हालत ही पतली कर दी है पहले अपने ही कुछ समय तो मिलता है लेकिन अब तो पूरे दिन बच्चों, पति की आवभगत में ही टाइम कैसे बीत जाता हैं पता ही चलता...

सुबह 6 बजे से काम करना शुरू करती हूं और रात के 11 बजे तक मेरा काम चलता रहता है।

तभी रवि ने फिर कहा भाग्यवान, क्या करने लगी तुम एक कप चाय में तुमने इतना टाइम लगा दिया यदि तुम्हे मैंने और कोई काम कहा तो तुम क्या करोगी। तभी सुधा हाथ मे चाय लेकर आ गयी और रवि से बोली तुम्हे तो लगता है कि मैं काम ही नही करती, आलसी हूँ जो हर काम को करने में आनाकानी करती हूँ। lockdown बाहर देश मे हुआ हैं लेकिन घरों में सब औरतों के काम कम नही हुए है बल्कि ज्यादा बढ़ गया हैं।

पहले बच्चों और आपके जाने के बाद कुछ समय अपने साज सज्जा को भी मिल जाता था लेकिन अब तो मुझे पूरा दिन बाल संवारने का भी टाइम नही मिलता। एक तुम हो जो किसी काम मे मेरी मदद तो करते नही ऊपर से हर काम मे मीनमेख ही निकालते रहते हो

सुधा को ऐसे बोलता हुआ देख रवि सुधा की मनःस्थिति को समझ गया और बोला यहीं तो मैं तुम्हे समझा रहा था कि अकेले सारे काम मत करो। अपने बच्चों और पति से भी कुछ काम करवा लिया करों। जिससे तुम्हें खुद के लिए भी समय मिल सके और तुम फिर से गुलाबो बनकर मेरे दिल के शीशमहल को अपनी रोशनी से चमका सको और अपने इस घर को खुश रख सको। रवि की बात सुनकर सुधा अपना मुँह छिपाकर खिलखिलाकर हँसने लगी।

आप सब भी इस lockdown में अपने परिवार की सदस्यों की मदद लीजिए ताकि आप भी सुधा की तरह परेशान न हो बल्कि इस lockdown के समय भी आप सकारात्मक ऊर्जा के साथ, अपने परिवार की मदद से इस मुश्किल समय को भी हँसते मुस्कुराते हुए पार कर सकें।

इसी आशा के साथ आपकी दोस्त

विनीता धीमान

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