मेरे गाँव की यादें

गाँव की यादें मन में बसी है..💐💐

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 17 Feb, 2020 | 1 min read

छोड़ आये हम वो गलियां"

आप जिस जगह पर बचपन से रहते हो उस जगह को आप कभी नही भूल सकते। वो यादें हमेशा आपके साथ रहती है मेरे साथ भी ऐसा है।

मैं हरियाणा के एक गावँ से हूँ। जहाँ मेरा जनम हुआ है वहाँ की याद आज भी सताती है। हमारे गांव में एक बहुत बड़ा नीम का पेड़ था। उस पेड़ के चोरों ओर चारपाइयों का जमघट लगा रहता था, गांव के बड़े बूढ़े लोग दिनभर वहीं बैठे रहते थे और पूरे गांव से जुड़े सभी समाचारों की जानकारी आप यहां से ले सकते थे।
कौनसे घर में क्या क्या हुआ, किसके घर में कौनसी रामायण और महाभारत चल रही है, किसकी शादी कब, किस से होनी सब यही पर तय होती है, कौन मरा, कौन पैदा हुआ सब पता चल जाता था, किस घर की औरत तेज है किसकी अच्छी, किसकी छप्पन छुरी है तो किसकी बिल्कुल गाय जैसी.... 
गांव में आने वाली और जाने वाली सभी बरातों की आगवानी और बिदाई यही से हुआ करती थी। पूरे गांव का जमावड़ा लग जाता था जब कोई पंचायत होती.....

किसका बच्चा कब क्या करेगा.…..

यह सब भी... यही... इस पेड़ के नीचे बैठे लोगों का खास दिलचस्प मुद्दा था और जब पास में से पानी, या खेतों की तरफ जाती औरतों का झुंड यहां से निकलता तो हर बूढ़ा ताकता रहता था कि घूंघट की आड़ में से किसी का चेहरा दिखाई दे जाए और उस समय के ये ताऊ लोग चलने के स्टाइल से ही पहचान जाते थे कि कौन.... किस की बहू है, पत्नी है।

हम सब बच्चें भी दिनभर वहीं खेला करते थे हमारे दादाजी वहीं पर बैठते थे। पूरे दिन घर से... नीम के पेड़ तक... ना जाने कितने चक्कर लगाए जाते थे इसकी कोई गिनती नहीं थी। और छुट्टियों के दौरान तो सुबह से रात तक हम बच्चे यही डेरा डाले रखते थे....🌝🌝🌝🌝

लेकिन पापा को गांव छोड़ना पड़ा क्यूंकि पापा की नौकरी दूर राजस्थान राज्य में लग गई, हम सब भी गांव से शहर आ गए।😔😔😔

हमारे गांव की शान और पहचान था यह नीम का पेड़...

लेकिन जब इस बार गांव जाना हुआ तो देखा कि सड़क निर्माण का काम चल रहा है तो अब इस नीम के पेड़ को काफी सारा काट कर छोटा कर दिया हैं। अब वहां कोई नहीं बैठता....चारपाई भी नहीं दिखी....बड़ा अजीब लगता है।

अब गांव में वो बड़े बूढ़े तो रहे नहीं और काफी सारे लोग जॉब के चलते शहरों को आ गए हैं.... अब किसी के पास इतना समय भी नहीं है।

अब गाँव मे भी लोगों के पास समय की कमी है लेकिन आज भी त्योहारों पर जो उमंग, उल्लास गावँ में मिलता है वो हमारे शहरों में नही है।

मुझे मेरे गाँव बहुत याद आता है...मेरे गाँव की गलियां मेरी यादों में बसी हुई है...😢😢😢

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