बराबरी का बीज

अब लड़का लड़की के भेद को खत्म कर, बराबरी का बीज बचपन से ही बो दो।

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 03 Mar, 2020 | 1 min read

हैलो दीदी, क्या कर रही हो? सुमन ने अपनी बड़ी बहन को फ़ोन करते हुए पूछा...

दीदी:- अरे कुछ नही बस बैठ कर कपड़े समेट रही थी। आज sunday की दोनो बच्चों की छुट्टी है और तेरे जीजाजी की भी। तो सब घर पर ही है

सुमन:- सही हो, तुम तो sunday का पूरा मजा ले रही हो और दोनों बच्चे क्या कर रहे है

दीदी:- ये राघव मेरा लाड़ला अपने पापा के साथ रसोई में आलू छील रहा है और पूर्वी अपनी पढ़ाई कर रही है उसका कल हिंदी का पेपर है

सुमन:- क्या कहा राघव आलू छील रहा है तो आज क्या बना रहे है? जीजाजी

दीदी:- अरे आज बच्चों ने जिद्द कर रखी है कि पापा आज तो आप मंचूरियन बना कर खिला दो...बहुत दिन हो गए आपने हमे नही खिलाया है। तो तेरे जीजाजी लगे हुए है सब्जियां काटने में और राघव अपने पापा की मदद कर रहा है।

सुमन:- दीदी तुम तो भाग्यशाली हो जो तुम्हे इतना काम करने वाले पति मिल गए है! जो छुट्टी के दिन तुम्हारी मदद कर देते है। एक मेरे इनको देख लो कुछ काम तो करवाते नही ऊपर से किये गए काम मे मीनमेख निकालते रहते है।

दीदी:- तुम सही कह रही हो सुमन मैंने देखा है कि तुम जब घर के काम कर रही होती तो विकास तुम्हारे पास भी नही आते। लेकिन इस मामले में मैं बहुत खुशनसीब हूँ तुम्हारे जीजाजी शादी के पहले दिन से आज तक मेरी हर काम मे मदद करते है। मेरी सासूमाँ का मानना था कि बोए बीज बराबरी के बचपन से...

सुमन:- क्या मतलब

दीदी:- सिंपल सी बात है वो कहती थी कि अपने सभी बच्चों को बराबर समझो। न लड़का कम है न लड़की... दोनो को एक बराबर है तोलो... दोनो को एक जैसी शिक्षा दो ताकि आगे कोई दिक्कत न आये।

अगर कल को लड़का बाहर पढ़ने या जॉब करने जाएगा तो उसे सारे काम आने चाहिए। ऐसेही जब लड़की को जरूरत पड़े तो उसे भी बाहर के काम करने आने चाहिए।

यहाँ तक कि मेरे ससुर भी खाना बना लेते थे। वो हमेशा अपनी चाय खुद बनाकर पीते थे। मुझे अपने ससुराल की ये बात बहुत अच्छी लगी और मैंने भी सोच लिया था। जब मेरे बच्चे होंगे तो मैं उन दोनों में बराबरी का बीज बचपन से बो दूंगी ताकि आगे चलकर मेरे दोनो बच्चे आत्मनिर्भर बन सके।

सुमन:- सही कहा तुमने दीदी, तुम्हारी सास ने तो मेरी भी आँखे खोल दी है। मैं भी इस बात का पूरा ध्यान रखूंगी। जब मैं माँ बनूंगी तब मैं भी गुलाबी, नीले रंग भूलकर सही रंग को ही चुँनोगी और अपने बच्चों में बराबरी का बीज बचपन से ही बो दूंगी।

दीदी:- तुम्हे क्या पता तुम्हारे बेटा बेटी भी होंगे या सिर्फ बेटा या बेटी और दोनों बहने जोर जोर हँसने लगी।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी... क्या आप भी अपने बच्चों के बीच ये फर्क करते हो तो आज ही बंद कर दो क्योकि अब दुनिया बराबरी की, न कोई कम है न कोई ज्यादा सब बच्चे एक समान है।

आपकी दोस्त@विनीता धीमान

#बोए बीज बराबरी का बचपन से

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