काली हूं ,मोटी हूं, छोटी हूं
तुम्हारी नजरों में क्यों खोटी हूं
मैं खुद के लिए जैसी हूं
काफी हूं
क्यों कमियां ही देखते हो अक्सर
तुम्हें उपलब्धियां
गिनाऊँ उंगलियों पर
मोटी हूं नहीं बनना
मुझे कोई मॉडल
अपनी मां की आंखों का तारा हूं
काली हूं नहीं बेचना मुझे कोई विदेशी क्रीम
करके सोलह सिंगार
मैं संपूर्ण नारी कहलाती हूं
क्यों लड़कियां सहती हैं
यह अत्याचार ,हां अत्याचार ही तो है
शारीरिक नहीं तो मानसिक सही
लेकिन अब नारी है नारी के साथ
उठा ली है उसने हाथों में तलवार
अब शब्दों से वह भी करेगी वार
नहीं सह ना अब कोई तुम्हारा दुर्व्यवहार
अब माहौल बदलने वाला है जब लड़कियां
तुम्हें चुनने को आएंगी
तुम नहीं, हकदार की बॉडी शेमिंग बताओगे
और मां बनकर इस धरती का सबसे सुंदर
उपहार दिया| काली, मोटी, छोटी का मन से डर निकाल दिया
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