दर्द की नदी थमी सी है

आँखों से निकली सरिता

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Jan, 2021 | 1 min read
#fear #culture # tear

#दर्द की एक नदी थमी है


दर्द की एक नदी थमी है 

आंख में फिर आज नमी सी है

जो रोका है सैलाब 

हमने अपने अंदर

अगर वह निकले तो 

बन जाए समंदर

आंखों में बस पड़े रहे पत्थर

यथार्थ के धरातल पर देखा

 फूल लगे शूल की तरह

जैसे पत्थरों पर नदी बहती रही

 गमगीन हो चुपचाप सहती रही

आंख में आज फिर नमी सी है 

दर्द की नदी थमी सी है

अगर बह जाएगी तो लील लेगी

 बाढ़ ना आ जाए

क्या हालत हुई 

आंखों में है बादल

 और दिल में मरुस्थल

अधरों को अब तक सील लिया है

अश्रु बहना चाहते हैं

 फिर भी रोक रखा है

क्योंकि आंख में आज

 भी नमी सी है 

दर्द की एक नदी थमी सी है

वर्षा शर्मा

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Varsha Sharma

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