तेरा मेरा साथ रहे

विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने वाली एक कहानी

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 11 Jan, 2021 | 1 min read
#culture #education

मुनिया ओर सोनू दोनों अनाथ है,सोनू बारह वर्ष का है ओर मुनिया आठ वर्ष की |घर है उनके पास लेकिन चलाने के लिए किसी को तो काम करना होगा |तो सोनू भाई अपनी बहन को पढ़ा रहा है | खुद काम करता है ओर मुनिया को स्कूल भेजता है |आज मुनिया के हाथ मे चोट लगी है इसलिए उदास है |आज  तो तुम ही काम आओगे मुझे हाथ में चोट है ओर मे नही लिख पाऊँगी |लेकिन मे मुझे तो कुछ नहीं आता |तुम झूठ बोल रहे हो भाई तुम्हें लिखना तो आता है, तुम मुनीम चाचा के घर जाते हो हिसाब लिखने |अरे बाबा लिखता हूँ पर तेरी किताबो का मुझे कहाँ समझ आएगा तू तो बड़ी क्लास में है |  मे तो तुझसे एक कक्षा कम पढ़ा हूँ |तू फैल हो गई तो? फिर किसे कहूं.? मैडम ने कहा कि मेरी क्लास से छोटा हो ओर किताब के प्रश्न के उत्तर ना आते हो |वही मेरी मदद कर सकता है पर्चा लिखने मे |मुझे सब याद है पर लिखने वाला कोई नहीं मिल रहा है भाई अपनी बहन की मदद नहीं करोगे मुनिया बोली |लेकिन मुझे तो सुबह काम पर भी जाना है |अखबार बांटने है |मुनिया उदास हो गई |अरे मुनिया प्यारी मे चलूंगा तेरे साथ °°°उदास मत हो |सुबह अख़बार बांटने के बाद जल्दी आ गया |ओर चल दिया  स्कूल अपनी बहन की परछाई बनकर पर्चा लिखने |बहन का हाथ पकड़कर |ओर सोच रहा है मे सही लिखूंगा तो मुनिया पास हो जाएगी | ओर अपना झोला भी लेकर आते हुए मुनीम चाचा के यहां भी तो जाना है | ओर मुनिया सोच रही है बहुत सुन्दर लिखता है उसका भाई मैडम ने सुन्दर लेख लिखने पर प्रतियोगिता रखी है पक्का भाई ही जीतेंगे और इनाम मे भाई को साइकिल मिल जाएगी | जो अखबार बांटने मे काम आएगी |दोनों अपनी धुन में चले जा रहे हैं |


रास्ते में रूकावटें तो बहुत आती है |लेकिन जो इन्हें पार करता है वही सच्चा वीर होता है |आज मैडम का सिखाया पाठ मुनिया को याद है |


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Varsha Sharma

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