मेरा गांव

गांव की यादों को मन में बसा के जो शब्द निकलते हैं

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Sep, 2020 | 1 min read
#khadi boli

मेरा गाँव


वही गांव था मुझको प्यारा

 था वह मेरा सुर लोक

 काया मेरी आ गई शहर में 

मन में उठती हूँक हिलोर,,, 


गोबर से लिपता था अंगना माँ रामायण पढ़ती थी तुलसी का बिरवा भरती थी दादी, चाची ,ताई मिलकर कितने त्योहार वह करती थी |अब तो शहरों के त्योहारों में बच्चे भी होते हैं बोर

और वही गाँव था मुझको प्यारा था वह मेरा सुर लोक 


गोधूलि बेला में चरवाहे लौट कर आते थे उस दरख्त के नीचे ताऊ बाबा हम पाते थे, अजान और मंदिर की घंटी साथ साथ ही बजती थी

 अब बेकरार है मन मेरा यह देह निर्धन सी से लगती है फिर से गांव जाने को मचलता वर्षा तेरे मन का मोर 


वही गाँव था मुझको प्यारा था वह मेरा सुर लोक

 मुझे पता है मेरे आने की सुनकर मां भावुक हो जाएंगी  लड्डू पेड़े और मिठाई खूब चढ़ाई कढ़ाई चढ़ाएंगे ,

मेरे आने की खबर को पूरे गांव में बताएगी 

मैं बोलूंगी शहरों में मीठे का परहेज करा देते हैं लोग

 हिय मेरा होता अधीर कौन बंधाई मुझको धीर ले चल मुझको फिर से गांव ओ मेरे प्यारे मन के मोर

वर्षा शर्मा दिल्ली

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Varsha Sharma

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