"अरे! सुना है साहू जी की हालत बहुत खराब है, दोनों बेटे सेवा कर रहे हैं| अरे! उनके पास तो इतना पैसा भी नहीं है, जीते जी एक मकान तो बना ही देते"|
तबीयत का पता लेने आए पड़ोसी वर्मा जी बोले|
"कोई बात नहीं वर्मा अंकल, मकान नहीं बनाया तो उन्होंने अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी की हैं और अभी तो उनके आराम करने के दिन आए हैं बस जल्दी से पिताजी अच्छे हो जाएं ताकि हम उनकी सेवा कर पाएं"|
वर्मा जी सुनकर गदगद हो गए क्योंकि आजकल तो जहां देखो पैसे के लिए मारकाट मची है और उनके पास पैसे भी नहीं है खुद घर का मकान नहीं है लेकिन फिर भी बच्चे मैं कितने अच्छे संस्कार हैं कि मां बाप की सेवा करने के लिए तैयार हैं.. .. यही है कि आप के संस्कारों की फसल जब बड़ी हो जाती है तब आपको पता चलता है उसके लिए बचपन से ही आपको मेहनत करनी होती है|
अब वर्मा जी को याद आया कि कैसे श्रीवास्तव जी ने अपनी छोटी-छोटी खुशियों को मन मार लिया था? ????लेकिन..... आज उसी जायदाद के लिए घर में झगड़े हो रहे हैं|
जब श्रीवास्तव जी से मिलने गए थे तो उनकी बिटिया बोल रही थी
"क्या कर रहे हो बाबू जी ????आप अपने लिए त्योहार पर एक जोड़ी कपड़े भी नहीं खरीदे" बिटिया घर आई हुई थी उसने बोला
अरे क्यों बेकार पैसा फेंकना ??आगे भविष्य में काम आएगा आपने अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी कर दी बच्चों को अपने लायक बना दिया तो उनके लिए क्यों जोड़ना???अपनी आगे की जिम्मेदारियां वह खुद पूरी करेंगे!!!क्या आपको किसी ने इतना खजाना दिया था आपने भी तो मेहनत से ही पाया है??? हां लेकिन बच्चों के लिए कुछ जुड़ जाए तो अच्छा ही रहेगा|
और इसी तरह उन्होंने कभी अपनी जिंदगी खुलकर नहीं जी बस बच्चों की फिक्र में ही सारी जिंदगी गुजार दी|
अब श्रीवास्तव जी इस दुनिया में नहीं है 13 दिन हुए हैं कि तीनों भाइयों में झगड़े शुरू हो गए सब कमा अच्छा रहे हैं ,,,,लेकिन जायदाद में सभी को बराबर का हिस्सा चाहिए इसी बात को लेकर कोर्ट तक पहुंच गए हैं |
अब वर्मा जी ने भी अपनी जिंदगी में यही अपना लिया है कि पूत कपूत तो क्यों धन संचय और पूत सपूत तो क्यों धन संचय मतलब अगर आपके बच्चे संस्कारी हैं आप उन्हें बचपन से ही संस्कार दीजिए | जैसे किसान बीज होते हुए फसल का पूरा ध्यान रखता है उसी तरह आपको भी अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखना चाहिए पैसा बहुत जरूरी है लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं है |कहीं भावनाएं भी खत्म हो जाए पैसों के चक्कर में.......इसलिए जब आप की फसल पकने को तैयार हो उसे अपना समय दीजिए प्यार दीजिए ताकि वह सपूत बने ......ना कि कपूत जो जोड़ी हुई चीज को भी खो दें |
बच्चों के लिए अगर आप कितना भी खजाना छोड़ देंगे अगर उनमें संस्कार नहीं होंगे थे वह उसे व्यर्थ ही गवा देंगे इसलिए अपनी जिंदगी खुलकर जीये और बच्चों को सिर्फ अच्छे संस्कार दो ताकि जब आप की फसल लहराए तो सिर्फ आप ही नहीं दूसरे भी उसकी तारीफ करें....
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