समय

कोरोना काल को देखते हुए सम सामयिक रचना

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 Nov, 2020 | 1 min read
#culture #problam#

"मैं तुम्हें कहीं घुमाने नहीं ले जा पा रहा और तुम मायके भी नहीं जा पा रही ,अभी अभी तो शादी हुई थी तुम्हें भी कितना बुरा लगता होगा, "निखिल ने कहा 

,"यह आप क्या कह रहे हो  मैं कोई बच्ची थोड़ी हूं,,मुझे भी पता है अब पहले जैसा कुछ नहीं है हम स्वस्थ रहेंगे तो घूमना फिरना और मिलना जुलना तो बाद में भी होता रहेगा.....सबसे अच्छा तो है कि हम एक दूसरे के साथ ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं और एक दूसरे को समझ रहे हैं हंसते हुए कामिनी निखिल के गले लग गई. . . .

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