मेरे अल्फाजों से सुधरे किसी की जिंदगी अगर
मैं तो मांगती मां से वरदान ये है अक्सर
काश हैवानियतो की बुद्धि में यह बात आ जाए
उनको चुभे खुद ही जो औरतों को देते हैं नस्तर
अहिंसा को तो औरत ने हमेशा ही अपनाया
हिंसा करने पर उतर जाए क्यों देते हो अवसर
कोख मे आने से मेरे यू घबरा जाते हो
सोचो अगर इंकार कर दूं तुम्हें रखने से मैं अंदर
तुम्हारा अस्तित्व की पहचान क्या होगी
एहसान नारी जाति चुका ना पाओगे जन्म भर
नारी के मन मे आक्रोश की वर्षा है
धोखा क्यों दिया तुमने हमेशा साथ में मिलकर
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