प्रकृति को कहर

बुंदेलखंडी भाषा में लिखी कहानी# contest

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 07 Jan, 2021 | 1 min read
#beauti in diversity #Bhundelkhandi

सबरे जने दवाइयन में लगे है। चारउ तरफ मैलो ही मैलो हैं। सबरे जंगा प्लास्टिक फैलो है और खीबई बुरई बदबू आउत हैं।


अरे! जो का सबने मो पे जो मुसिका सो पहनो है ऑक्सीजन को भी सिलेंडर लगो है। मोय कछु समझ में नाइ आओ की मैं का आ गओ हो। तबहु मोय प्यास लगी सो मैंने पानी मांगो पर कोनऊ ने नाइ सुनी। मैंने बोतल दिखाई के मोय पानी पिनो है पर सबरे मोय ऐसे देख रय ते की जैसे कछु जानत ही न होय। 


तबहु एक लोगाई ने मोय वॉटर कैप्सूल दओ जिये खा के मोरी प्यास बंद हो गई। तबहु मोरी नजर कैलेंडर पे गई उ में 2200 लिखो तो। मैं खिब ड़र गओ और ड़र के भागने लगो... 


ओह्ह! मैं तो सपनों देख रओ तो। बहुतई भयानक सपनों तो। काश हम सुधर जइए। अबे तो कुदरत ने हमें चेताओ हैं। काश हम समय रहते सुधर जइए जिसे हम फिरके खुली और शुद्ध हवा में सांस ले पाए।

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Varsha Sharma

varshau8hkd

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