औरत और पुरुष

रंगों में ना बंद हो

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 30 Mar, 2021 | 1 min read
#contest # holi

चलो आज तुम दोनों को जूते दिला दूँ,होली का त्यौहार भी आ रहा है| हां मम्मी, दादी को भी साथ ले चलेंगे दादी को भी लेने हैं दादी इतने बड़े जूतों के शोरूम को देखकर स्तब्ध थे| सब कुछ बदल रहा है जमाना देखो कहां से कहां पहुंच गया शायद अब कुछ बदल जाए नहीं तो दादाजी के सामने कहां बोल पाती थी कुछ भी? चलो अच्छा है बहू तो खुद शॉपिंग कर लेती है और बच्चों को भी करा देती है आत्मनिर्भर होने का यही फायदा है,

जूते की दुकान में घुसते ही आपको गर्ल्स के जूते लेने हैं या बॉयस के

रिया ने अपनी पसंद के जूते लिए पिंक कलर के और राहुल ने ब्लू कलर के , दादी को इतने बड़े शोरूम में भी कुछ खास नहीं लगे लेकिन अपनी जरूरत के हिसाब से उन्होंने ले लिये,

आप क्या सोच रही हैं मम्मी जी???कुछ नहीं सोच रही बेटा, हम पढ़े लिखे हैं हो गए हैं लेकिन फिर भी जेंडर इक्वलिटी वही की वही है |पढ़े लिखे लोगों में मिलती है, ज्यादा बढ़ गई है हम सोचते थे कि जब आप पढ़ाई कर लेंगे सब लोग तो ज्यादा सुधार आएगा लेकिन यह तो कुछ और ही हो गया पहले तो फर्क सिर्फ पुरुष और मर्दों में होते थे अब तो पढ़े-लिखे सभी समाज ने हर एक चीज को कलर से बांधकर मुसीबत खड़ी कर दी है| हर चीज को पुरुष और औरत के दायरे में बांधना सही नहीं है यह सुधार के बजाएं बिगड़ने का माहौल बना रहा है|

हां सही तो कह रही है मम्मी आज हर चीज है औरतों के लिए अलग मिलती है और पुरुषों के लिए अलग कहीं हमारा समाज ही इक्वलिटी को पाने के चक्कर में पुरुष और स्त्री अलग-अलग हैं इस बात को तो बढ़ावा नहीं दे रहा

जो कि सही नहीं है

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Varsha Sharma

varshau8hkd

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