नारी तू नारायणी बनकर मत खुश हो ना
तुझे प्यार से चाहिए हृदय मे बस एक कोना
तु काम बहुत अच्छा करती है
तेरे हाथ में बहुत स्वाद है
इन बातों से भ्रमित ना होना
बड़े प्यार से तुझको शीशे में उतारा जाएगा
नारी त्याग की मूरत है
नारी के आगे हम नतमस्तक हैं
पहले तुझको सुनाया जाएगा
इसी लाग लपेट में त्याग करना सिखाया जाएगा
बस एक सवाल करना उन ठेकेदारों से
नारी दिवस की जरूरत क्यों पड़ी इस अग्रसर जमाने में????
बराबरी का हक क्या कभी तुझे मिल पाएगा??
नौकरी भी करती है
तु चाकरी भी करती हैं
फिर भी समाज बार-बार तुझे यह बताएगा
औरतो मे दिमाग नहीं होता
और नौकरी से आने पर क्या एक गिलास पानी तुझे भी मिल पाएगा ??
यह बलात्कार, एसिड अटैक क्यों औरतें ही झेलती अब वक्त आ गया है
अब पंख फैला उस स्वच्छंद आकाश में
और मिसाल बन आने वाली पीढ़ी के लिए
आखिर आने वाली पीढ़ी को कौन बचाएगा
Comments
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उम्दा रचना
धन्यवाद भाई
Bahut acha likha hai
Sonia ji aabhar
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