तपस्या

तपस्या की चाह

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 07 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poems #contest#paperwiff

# तपस्या

हिमालय पर जाकर तो

मैं भी रह लूं सिर्फ

..अपनी सोचनी हो तो ऐसी

तपस्या तो मैं अभी कर लूं

अपनों को सुख

देने की खातिर

कई बार बहुत

कुछ सह जाती हूं

जिस तरह कीचड़ में

कमल खिलता है,

हां मुश्किलों के दौर में

यही खुद को समझाती हूं

अपने बच्चों को संस्कार देती हूं गलत मत सहो लेकिन

बुरे के साथ बुरा भी मत बनो

नहीं तो तुम में और उस में क्या फर्क रह जाएगा...

तुम तो निकल गए गौतम बनकर तुम्हारी तपस्या में तो तुम्हें भगवान मिल जाएगा...

लेकिन हमारी तपस्या जब पूरी होगी तो वक्त ही

नया रंग दिखलाए गा

खुद को मिटा देती है मां

वह तपस्या ही तो है

जो बच्चों के भविष्य

के लिए हो जाती है कुर्बान

वर्षा शर्मा

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Varsha Sharma

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