मर्द भी कभी रोता है

औरतों की भावनाएं तो अक्सर समझ आ जाती है लेकिन कई बार पुरुषों को भी दर्द होता है और जब वह रोता है तो सुनने को क्या मिलता है?? #1000poems

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 07 Feb, 2021 | 1 min read
#contest #1000poems


# विधा काव्य


चीख पड़ता हूं

 दिल जब उदास होता है 

अंतर्द्वंद मेरा मुझे लीलता है

कितनी आसानी से कह देते हो 

कि मर्द भी कभी रोता है 

 ख्वाहिशें अगर पूरी नहीं हुई

 या इश्क की अनजानी राहें कभी मिली नहीं

शादी के बाद नौकरी के लिए मैं भी तो घर छोड चला

 कभी-कभी जब दिल कचोटता है ....

कितनी आसानी से कह देते हो कि मर्द भी कभी रोता है

खुलकर बयां करना चाहता हूं दर्दे जिगर

 कई बार चीखता हूं दीवारों के अंदर बंद हो कर

खुलकर अपना गम व्यक्त करने का कोना ढूंढता है

 कितनी आसानी से कह देते हो कि मर्द भी कभी रोता है

 क्यों मर्दों को गम सहना होता है चुपके चुपके रोना होता है ? हृदय तो मेरा भी दुख में डोलता है


कितनी आसानी से कह देते हो कि मर्द भी कभी रोता है


वर्षा शर्मा दिल्ली

 स्वरचित अप्रकाशित

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Varsha Sharma

varshau8hkd

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