ना चाकू की धार

कन्या भ्रूण हत्या पर लिखी मेरी कविता

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 16 Apr, 2021 | 1 min read
#equality#

ना चाकू की धार ना चले कोई औजार

वह भी तो जन्म ले,लड़कियों का भी जन्म हो

हां उनका भी जनम हो

मन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा वह तो प्रेम की मूरत है प्रेम की मूरत है

क्यों मांगना पड़ता है उनको हक अपना बार बार.


सारी दुनिया हरजाई मांगे हरदम हो भाई मिटाना चाहता था जमाना मां मुझको ले आई मुझे सिखाया उस ने कभी ना पीछे रहना

मुझे धरती पर लाने के लिए दुनिया से पड़ा लड़ना


ना चाकू की धार ना चले कोई औजार


इस धरती पर जुल्म होना जहाँ माँ के रूप में पूजा होती ,हमेशा कम तर माना जबकि औरत कम नही होती

अब मिले समानता का हक औरत को बार-बार

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Varsha Sharma

varshau8hkd

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