साथी साथ निभाना

प्यार की शायरी

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 07 Jun, 2021 | 1 min read
#love paperwiff




मैं विह्वल होकर पूछती ,

तुम मूक बन कर हो खड़े 

 अभिजात्य का अस्तित्व 

मेरी समझ से है परे


एकटक विस्मित सी निहारती हूं इन पारंपरिक व्यथा को लुप्त कर देना

निशब्द होकर बलिष्ठ भुजाओं में डूबा जाना

 अपेक्षा न करना बस एकाकार हो जाना




विचलित नहीं सम्मुख तुम्हारे,  इश्क का जिक्र करती हूं

प्यार के श्रृंगार से अपूर्व सुंदरी मैं बनूँ

तुम सुखद परिवर्तन की बयार बन जाना



गुजारिश इतनी है काबिल समझना

 मुद्दत बाद आया है जो जलजला


जीवन सापेक्ष सा तुम ढल जाना साथी साथ निभाना, साथी साथ निभाना


वर्षा शर्मा दिल्ली

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