गोरैया
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
बिटिया ने पाला था पोसा था उसको रे
पानी भी पीती थी और दाना भी खाती थी
पानी में पंखों को फर फर फैलाती थी
अंगना में सारे फुदक ती वो जाती थी
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
बाबुल के कांधे पर आते ही चढ़ती थी
मम्मी की रसोई में जाने को तरसते थे
भैया तो उसको देखते परेशान करता था
चुपके मेरे पीछे छुप जाती थी रे
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
गेहूं की फसलों में खूब घूम आती थी
सरसों आती घर में में तो खूब चहचाहती थी
बिना अलार्म क्लॉक के सबको जगाती थी
बारिश के आने का पहले से बताती थी
खेती में कितना काम वह आती थी
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
उसकी चहचाहट से जीवन गुलजार होता था
मुक्त गगन मैं उड़कर शाम को वापस आ जाती थी
आम की बौर पर खूब फड़फड़ा ती थी
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
बेटी की शादी के लिए वह
टावर लगवाया था|
खर्चा किया शादी में बिटिया को विदा किया
बिटिया जो विदा हुई इस अंगना से
गोरैया ना वापस आई अंगना रे
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
गौरैया उड़ गई छोड़ के अंगना रे
वर्षा शर्मा
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