अपने खेत खलियान को पसीने से रंग देते हैं
खून से रंगने वाले वह किसान नहीं होते हैं
घर के जयचंद बन बैठे हैं
इन्हें सबक सिखलाना है
भारत का गणतंत्र क्या है
अभी इनको बतलाना है
जय जवान जय किसान का नारा है
अपमानित करके ध्वज को उन्होंने
हर युवा को ललकारा है
ये है निकम्मे अभिमानी
अब ना चलने देंगे इनकी मनमानी
सारी दुनिया जान चुकी ओकात तुम्हारी
तुमने तो कुत्सित मानसिकता दिखा दी
अब हमारी बदला लेने की तैयारी
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