किसान नही हो सकते है

किसानों के भेष में दंगाई छिपे हुए हैं ,अब जनता समझ चुकी है

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 25 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

अपने खेत खलियान को पसीने से रंग देते हैं

खून से रंगने वाले वह किसान नहीं होते हैं

घर के जयचंद बन बैठे हैं

इन्हें सबक सिखलाना है

भारत का गणतंत्र क्या है

अभी इनको बतलाना है

जय जवान जय किसान का नारा है

अपमानित करके ध्वज को उन्होंने

हर युवा को ललकारा है

ये है निकम्मे अभिमानी

अब ना चलने देंगे इनकी मनमानी

सारी दुनिया जान चुकी ओकात तुम्हारी

तुमने तो  कुत्सित मानसिकता दिखा दी

अब हमारी बदला लेने की तैयारी


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Varsha Sharma

varshau8hkd

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