किन्नर हास्य के पात्र नही..

किन्नर

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 21 Jan, 2021 | 1 min read
#advise #equality#


 

 पुराने समय में

जब भी कोई बच्चा पैदा होता है. तो किन्नर समाज में से कुछ लोग आते हैं और बच्चे को आशीर्वाद देते हैं और अगर किन्नर को पता चलता है कि वह उन्हीं के समाज का है ,अपने समाज की बढ़ोतरी के लिए उसे अपने साथ ले जाने की जिद करते हैं |कई बार मां-बाप रखना भी चाहते हैं तो भी उनका प्रभाव ऐसा होता है कि उन्हें बच्चे को देना पड़ता है | और अगर समाज में भी देखें कि किसी के आसपास कोई किन्नर बच्चा है तो समाज भी उसे जल्दी से स्वीकार नहीं करता छोटी-छोटी बातों में उसे नीचा दिखाया जाता या ताने दिए जाते हैं इन सब से क्षुब्ध होकर ही माता-पिता भी यह निर्णय कर लेते हैं कि अपने बच्चे को उनको सौंप दें या फिर थोड़ा समझदार होने पर बच्चा खुद इन चीजों से परेशान हो जाता है | और उस समाज से जुड़ जाता है| लेकिन पुराने जमाने से अब बदलाव आया है जैसे ही किन्नरों ने महसूस किया कि अगर कोई बच्चा उनके समाज में रहकर नाच गाना नहीं करना चाहता तो उसे जबरदस्ती ना बनाया जाए | और कई किन्नर ही इसके उदाहरण हैं जिन्होंने अन्य बच्चों को आगे बढ़कर प्रोत्साहन दिया है|

तो आजकल बड़े पदों पर भी कई किन्नर हैं और  अब स्त्री पुरुष और किन्नर किसी भी चीज के लिए अप्लाई कर सकते हैं तो कुछ सुविधाएं तो मिली है| बस हमें अपने स्तर पर इन चीजों में सुधार लाना होगा और हमें भी बच्चों को किन्नर के प्रति मान सम्मान सिखाना होगा|

हमारे एरिया की जो किन्नर है वह जब भी आसपास कहीं से निकलते हुए दिखती है मेरे पास मिलने जरूर आती है मेरे बच्चे पैर छूते हैं| मैं भी यथासंभव उनकी मदद करती हूं|

और वह सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद भी देते है|

और अगर बच्चे हमें उन पर हंसते हुए देखेंगे तो बच्चे वैसा ही अनुसरण करेंगे|

 किन्नर हास्य का विषय नहीं है अगर यह बच्चे अभी से समझेंगे तो आगे जाकर समाज में बदलाव की जो बयार आई है वह चलती रहेगी |🙏

वर्षा शर्मा दिल्ली

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Varsha Sharma

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Well written.

  • Varsha Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Sonia ji हार्दिक धन्यवाद🙏

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