शौक पूरा करने की उम्र

शौक पूरा करने की उम्र

Originally published in hi
Reactions 0
913
Varsha Sharma
Varsha Sharma 09 May, 2020 | 1 min read

पल्लवी किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी पहले तो बहुत चुलबुली थी|

विभा जी को तो बस उससे बातें करने का बहाना चाहिए था। ताकि वह है उसके मन में चल रहे द्वंद को समझ सके। वह प्यार से बोलने लगी कि सोच रही हूं। बेटा बैडमिंटन क्लास ज्वाइन कर लूँ। अब तो पल्लवी उनको ध्यान से देखने लगी। और  विभा की बातों में उसे मज़ा आने लगा। शांत नजरों से आश्चर्य भरकर बोला कि "आंटी आप इस उम्र में सीखोगी?"और जो यह जमाना कहता है।" "अरे! जमाने का क्या है बेटा अब देखो जब बच्चे छोटे थे मैं अपनी इच्छा पूरी नहीं कर पाई अब बच्चे बड़े हो गए हैं ।मेरे पास समय ही समय है।" "लेकिन आंटी बैडमिंटन ही क्यों? ? आप तो इतनी धार्मिक हैं कि आपको पूजा पाठ में ही टाइम निकल जाता होगा।"

" हां बेटा है वह तो ठीक है लेकिन बैडमिंटन मेरा बचपन का सपना रहा पहले बाबूजी ने नहीं सीखने दिया फिर भाइयों ने मना कर दिया शादी के बाद पति से इजाजत नहीं मिली है लेकिन अब मैं चाहती हूं कि मैं अपनी इस इच्छा को जरूर पूरा करूं।"

"अरे !!!!!तो आप फिक्र क्यों करती आंटी जी आप क्लास मत ज्वाइन कीजिए मैं सिखा , दूंगी।" पल्लवी बोली "लेकिन तुम्हारे पास समय होगा तुम कॉलेज भी जाती हो " विभा जी ने बोला। "हां समय तो मैं निकाल लूंगी आंटी जी आप भी तो मेरी मम्मी के उम्र की हैं।"

" अच्छा तो टाइम बताओ, " मैं 4:00 बजे कॉलेज से आ जाती हूं ।मैंआपको सिखा दिया करूंगी।"

"ठीक है बेटा तो मुझे क्या-क्या लाना होगा? "

"कुछ नहीं आंटी रैकेट मेरे पास है। आप बस कल आ जाना।"अअब पल्लवी की आंखों में चमक आ गई थी ।जो विभा  जी ने महसूस किया ।लेकिन उससे कुछ पूछा नहीं और चली गई और...........

अगले दिन विभा  जी पार्क में पहुंची तो पल्लवी उनसे पहले ही बैठी थी। यह तो विभा जी को पता ही था कि बैडमिंटन पल्लवी का फेवरेट गेम है। बस पल्लवी ने सिखाना शुरू कर दिया ।आंटी रैकेट कैसे पकड़ते हैं सर्विस इस तरीके से देते हैं और आप थोड़ा ध्यान से कीजिएगा। गेम शुरू करने से पहले हम ग्राउंड का एक चक्कर लगाते हैं। विभा जी और पल्लवी राउंड लगाने लगी और फिर प्रैक्टिस की। अब पल्लवी विभा जी से कुछ कुछ खुलने लगी थी। दो-तीन दिन हो गए प्रैक्टिस करते हुए विभा जी अच्छा खेलने लगी थी। और पल्लवी भी अपने मन की बात भी करने लगी थी। 1 दिन विभा जी ने पूछा "अब तो तुम सिखा रही हो तुम्हारी शादी हो जाएगी तो फिर कौन सिखाएगा?" सहसा पल्लवी गंभीर हो गई। "नहीं आंटी जी मैं शादी ही नहीं करूंगी।" विभा जी ने उसे प्यार से देखा। "क्यों भाई ऐसा क्यों कह रही हो?"

"शादी के बाद हम अपनी मर्जी का नहीं कर सकते अब मां को ही देखो या फिर दीदी को देखो। नए जमाने में होते हुए भी वह दादी के सामने अपनी कोई इच्छा पूरी नहीं कर पाती। और अगर करती है तो दादी गुस्सा हो जाती हैं।"

" ओ हो यह है दुख पल्लवी को",देखो पल्लवी जिस तरीके से मैं अपने शौक पूरे कर रही हूं । हर औरत को अपने शौक पूरे करने की आजादी होनी चाहिए ।और एक दूसरे का हमेशा साथ देना चाहिए। अब अपनी मां की इच्छा पूरी करने की बारी तुम्हारी है। और मुझे पता है तुम दादी को भी समझा लोगी। और शादी के बाद अपने लिए भी समझदारी से फैसले लोगी। शादी करो या ना करो वह तो तुम्हारी मर्जी है। लेकिन एक उम्र होने पर हमें पार्टनर की जरूरत होती है। तो शादी के लिए यह सही समय है।"

" चलिए आंटी कल से मम्मी को भी लाती हूं बैडमिंटन सिखाने।" पल्लवी की आंखों में चमक आ गई शायद उसे अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया। जो बात वह अपने माता-पिता से शेयर नहीं कर पा रही थी। विभा जी ने अपने अनुभव से उसे समझा दिया......

0 likes

Published By

Varsha Sharma

varshau8hkd

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.